भारतीय राजनीति में, जहां धर्म का गहरा प्रभाव है, वहां हाल ही में एक विशेष घटना ने व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री और जानी-मानी हस्ती कंगना रनौत का अपने एक बयान में यह कथन कि “मोदी भगवान राम का अवतार हैं” ने न केवल राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया है, बल्कि धार्मिक समुदायों में भी व्यापक चर्चा को जन्म दिया है।
इस बयान की वजह से कई लोग इसे हिन्दू धर्म का अपमान मानते हैं। इस तरह की तुलना करके, कंगना रनौत ने न केवल हिन्दू धर्म का अपमान किया है, बल्कि एक ऐसी मानसिकता का भी परिचय दिया है जो यह दर्शाती है कि चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाया जा सकता है।
इतिहास में भगवान राम के किसी भी अवतार का उल्लेख नहीं है, जो इस तरह के बयान को और भी जटिल बनाता है। भगवान राम, जिन्हें हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु का मानव अवतार माना जाता है, उनके जीवन और शिक्षाओं को आदर्श और धार्मिक मूल्यों के प्रतीक व न्यायप्रिय शासक के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते हुए समाज में आदर्श स्थापित किए।
एक राजनीतिक नेता की तुलना इस तरह के दिव्य और पवित्र चरित्र से करना न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि चुनावी जीत के लिए किस हद तक राजनीतिक प्रत्याशी गिर सकते हैं।
भारत में सिर्फ भाजपा समर्थक ही नहीं बल्कि काँग्रेस समर्थक भी हिन्दू हैं जो भगवान राम सहित सभी भगवानों में आस्था रखते हैं लेकिन प्रधानमंत्री मोदी विरोधी हैं। कंगना का यह बयान उन नेताओं द्वारा पीएम मोदी का विरोध भगवान राम का विरोध दर्शाने जैसा है ।
कंगना रनौत के पीएम मोदी को श्रीराम का अवतार बताने को प्रदेश कांग्रेस सरकार ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि ये चुनावी गरिमा के खिलाफ है और ये कथन चुनावी राजनीति के गिरते स्तर को भी दिखाता है।
पीएम मोदी को श्रीराम का अवतार बताना दुर्भाग्यपूर्ण है और ये चुनावी गरिमा के खिलाफ है। इस बयान से उन्हे फायदा नहीं नुकसान होगा।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर
कंगना रनौत के इस तरह के बयान से उन लोगों को भी ठेस पहुँचती है जो भाजपा और कंगना का समर्थन करते हैं, हिन्दू धर्म मे आस्था रखते हैं और तीसरी बार भी राष्ट्रवादी विचारधारा वाले श्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहते हैं ।