मंडी, हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश के छोटे से गाँव भरमौर से आने वाले लोकप्रिय यूट्यूब कंटेंट क्रिएटर और जीवनशैली व्लॉगर, रवि चरक, जो ‘हिमाचलवाला’ के नाम से प्रसिद्ध हैं, ने मंडी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उनका कहना है कि भरमौर सहित हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की लगातार उपेक्षा को देखते हुए वह इस चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे कंगना रनौत और प्रतिभा सिंह जैसे दिग्गजों के खिलाफ चुनाव लड़ने को तैयार हैं क्योंकि सांसद एक बार जीत के वापिस लोगों के बीच नहीं आते।
“मेरा मानना है कि ईश्वर और मेरे अनुयायियों के आशीर्वाद से, मैं इस चुनाव में विजयी हो सकता हूँ।”
रवि चरक
रवि चरक ने कहा, “मेरा मानना है कि ईश्वर और मेरे अनुयायियों के आशीर्वाद से, मैं इस चुनाव में विजयी हो सकता हूँ।” उन्होंने यह भी वादा किया कि जीतने के बाद वे लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे और बेहतर सड़कों का निर्माण कराने और शिक्षा के मानकों में सुधार करने का काम करेंगे।
हिमाचलवाला के नाम से प्रसिद्ध रवि चरक ने 2020 में अपना व्लॉगिंग चैनल शुरू किया था और बहुत कम समय में ही वे बड़ी सफलता हासिल करने में सफल रहे। उनकी विशेषता उनके ग्रामीण जीवनशैली के व्लॉग हैं, जिन्हें लाखों लोगों द्वारा देखा जाता है। रवि का जन्म 12 सितंबर 1994 को हिमाचल प्रदेश के भरमौर में हुआ था और वर्तमान में उनके यूट्यूब चैनल ‘हिमाचल वाला’ पर 5,99,000 सब्सक्राइबर हैं।
रवि चरक के इस कदम को उनके अनुयायियों और स्थानीय निवासियों से व्यापक समर्थन मिल रहा है। उनका मानना है कि रवि जैसे युवा और उत्साही उम्मीदवार हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए नई दिशा प्रदान कर सकते हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि रवि की जमीनी स्तर की समझ और सोशल मीडिया पर उनकी लोकप्रियता उन्हें इस चुनावी दौड़ में मजबूत दावेदार बनाती है।
अगर रवि चरक चुनाव में जीतते हैं, तो यह हिमाचल प्रदेश के युवाओं और नई पीढ़ी के लिए एक बड़ा प्रेरणा होगा। इससे यह भी संकेत मिलता है कि युवा नेतृत्व कैसे पारंपरिक राजनीति की सीमाओं को तोड़ सकता है और नई तकनीकों और सोशल मीडिया के माध्यम से अधिक व्यापक और गहन जनसंपर्क स्थापित कर सकता है।
हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण इलाकों की समस्याओं को उजागर करने और उनका समाधान खोजने में रवि चरक की पहल एक आशाजनक कदम है। इस चुनावी दौड़ के परिणाम न केवल हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करेंगे, बल्कि यह भी दिखाएंगे कि कैसे नई पीढ़ी के नेता अपनी अद्वितीय आवाज़ और पहुंच का उपयोग कर समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।