डूमस्क्रोलिंग – सोशल मीडिया की दुनिया में बढ़ते हुआ एक चिंताजनक व्यवहार

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डूमस्क्रोलिंग क्या है? इस नए शब्द का उपयोग इंटरनेट और सोशल मीडिया की दुनिया में बढ़ते हुए एक चिंताजनक व्यवहार को वर्णित करने के लिए किया जा रहा है। आजकल के समय में, लोग अपने स्मार्टफोनों या कंप्यूटरों पर लगातार नेगेटिव समाचार और खबरों को पढ़ते और देखते हुए निरंतर टिके रहते हैं, जिससे उन्हें नकारात्मक भावनाओं का सामना करना पड़ता है। इसे हिंदी में ‘डूमस्क्रोलिंग’ कहा जाता है। यह शब्द “डूम” और “स्क्रोलिंग” दो अलग-अलग शब्दों का संयोजन है, जिसका अर्थ है दुर्भाग्यपूर्ण और नकारात्मक खबरों पर निरंतर स्क्रोल करना।

इस ताज़ा ख़बर के मुताबिक, यह नया व्यवहार लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। सोशल मीडिया पर उपलब्ध अनेक समाचार प्लेटफ़ॉर्मों पर लोग बिना रुके समाचारों को पढ़ते रहते हैं, जो उनकी ध्यान केंद्रित क्षमता को कम करता है और तनाव और चिंता को बढ़ाता है। अध्ययनों के अनुसार, डूमस्क्रोलिंग के कारण व्यक्ति के विचारधारा पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है और उनके सोने की अवधि को भी प्रभावित कर सकता है।

इस विकृति को रोकने के लिए विशेषज्ञों ने कुछ सुझाव दिए हैं। इसमें समाचारों को पढ़ने का समय सीमित करना, पॉज़िटिव और उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करना, सकारात्मक सोच को विकसित करने के लिए मेडिटेशन और योग का अभ्यास करना, सोशल मीडिया खातों को सक्षमता से इस्तेमाल करना शामिल है।

डूमस्क्रोलिंग के मुद्दे को देखते हुए, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों को अपने उपयोगकर्ताओं के लिए समाचार कंटेंट को फ़िल्टर करने के लिए और सकारात्मक समाचार को बढ़ावा देने के लिए उनकी जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया कंपनियों को विभिन्न प्राकृतिक आपदा या खतरे के दौरान लोगों को प्रासंगिक और सतर्क जानकारी प्रदान करने के लिए अपने अल्गोरिदम को संशोधित करने की भी जिम्मेदारी है।

इस समय, जब समाज तेजी से डिजिटल हो रहा है, हमें अपने आस-पास के लोगों की मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना और उन्हें सकारात्मकता की ओर मोड़ना महत्वपूर्ण है। डूमस्क्रोलिंग के इस नए विकार के सामने खड़े होकर हमें सक्रिय रूप से इसके सामने लड़ने और सकारात्मक समाचार को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक परिवर्तन को उजागर करने की जरूरत है।

सारांशतः, डूमस्क्रोलिंग विकार एक गंभीर समस्या है जिससे लोगों के भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। इस तकनीकी युग में, हमें अपने सोशल मीडिया उपयोग को समझने, संज्ञानात्मक रूप से समाचार चयन करने, और सकारात्मक और प्रोडक्टिव गतिविधियों को अपनाने के लिए अपने व्यवहार पर नज़र रखने की ज़रूरत है। इस तरीके से, हम डूमस्क्रोलिंग के नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं और सकारात्मकता को बढ़ा सकते हैं।

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