हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले किशन कपूर का राजनीतिक सफर दशकों तक जारी रहा। उन्होंने जमीनी स्तर से राजनीति शुरू की और विधायक, मंत्री से लेकर सांसद तक का सफर तय किया। उनके समर्पण, जनसेवा और दृढ़ नेतृत्व के कारण वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक मजबूत स्तंभ बने।
किशन कपूर का राजनीतिक सफर न केवल हिमाचल प्रदेश की राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा, बल्कि उन्होंने विभिन्न प्रशासनिक पदों पर रहते हुए राज्य के विकास में भी अहम योगदान दिया। आइए विस्तार से जानते हैं उनके राजनीतिक सफर के महत्वपूर्ण पड़ाव।
📌 किशन कपूर का प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक शुरुआत
किशन कपूर का जन्म 25 जून 1951 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के खनियारा गांव में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा खनियारा और धर्मशाला में पूरी की। किशन कपूर बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जनसंघ के विचारधारा से प्रभावित थे।
1970 के दशक में उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और जनसंघ के सदस्य बने। इसके बाद 1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठन के साथ वे इस पार्टी के प्रमुख नेता बनकर उभरे।
📌 किशन कपूर का राजनीतिक सफर: प्रमुख पड़ाव
1970 – जनसंघ और जनता पार्टी के सदस्य बने
उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा जनसंघ से शुरू की, जो बाद में जनता पार्टी में विलय हो गई। इस दौरान उन्होंने राजनीति की बुनियादी समझ विकसित की और जनता के बीच लोकप्रियता हासिल की।
1978 – भाजपा युवा मोर्चा के सचिव बने
भाजपा के गठन के बाद उन्हें युवा मोर्चा का सचिव नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने युवा नेतृत्व को संगठित किया और भाजपा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1982-1984 – मंडल अध्यक्ष, भाजपा धर्मशाला
धर्मशाला में भाजपा को मजबूत करने और संगठनात्मक ढांचे को व्यवस्थित करने का कार्य किया।
1985 – पहला विधानसभा चुनाव लड़ा
धर्मशाला विधानसभा सीट से पहली बार भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली।
1990 – पहली बार विधायक बने
भाजपा के टिकट पर धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से जीतकर पहली बार विधायक बने और राज्य की राजनीति में एक उभरते नेता के रूप में पहचान बनाई।
1993 – दूसरी बार विधायक चुने गए
इस बार भी धर्मशाला से चुनाव जीतकर लगातार दूसरी बार विधानसभा पहुंचे। उन्हें विधानसभा में भाजपा का मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया।
1995-97 – कांगड़ा जिला भाजपा अध्यक्ष बने
कांगड़ा जिले में भाजपा को मजबूत करने के लिए पार्टी नेतृत्व ने उन्हें जिला अध्यक्ष नियुक्त किया।
1998 – तीसरी बार विधायक बने, मंत्री पद की शपथ ली
इस बार उन्हें परिवहन, जनजातीय विकास, मुद्रण एवं लेखन सामग्री और कानून मंत्री बनाया गया।
2003 – विधानसभा चुनाव में हार
धर्मशाला सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा।
2007 – चौथी बार विधायक बने, मंत्री बने
इस बार उन्होंने परिवहन, शहरी विकास, आवास और नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग की जिम्मेदारी संभाली।
2012 – विधानसभा चुनाव में हार
फिर से धर्मशाला से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।
2017 – पांचवीं बार विधायक बने, मंत्री बने
भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग का मंत्री बनाया गया।
2019 – पहली बार सांसद बने
उन्होंने कांगड़ा संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत दर्ज की।
📌 मंत्री के रूप में किशन कपूर की प्रमुख उपलब्धियाँ
परिवहन मंत्री के रूप में:
- हिमाचल में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को सुधारने में अहम योगदान दिया।
- ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सेवाओं का विस्तार किया।
- HRTC (हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन) के बेड़े को मजबूत किया।
शहरी विकास मंत्री के रूप में:
- धर्मशाला को एक आधुनिक शहर बनाने के लिए कई योजनाएँ शुरू कीं।
- नगर एवं ग्राम नियोजन में सुधार के लिए नई नीतियाँ लागू कीं।
खाद्य आपूर्ति मंत्री के रूप में:
- राशन वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए नए नियम लागू किए।
- गरीब वर्ग के लिए PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) को अधिक प्रभावी बनाया।
📌 2019 लोकसभा चुनाव और सांसद कार्यकाल
- 2019 में कांगड़ा संसदीय सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और देशभर में सबसे अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।
- सांसद रहते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे से जुड़े कई विकास कार्यों की पैरवी की।
- कांगड़ा और चंबा क्षेत्र के विकास के लिए संसद में कई मुद्दे उठाए।
📌 किशन कपूर की राजनीतिक शैली और लोकप्रियता
- किशन कपूर हमेशा जनता के करीब रहने वाले नेता थे।
- उनकी सादगी, मिलनसार स्वभाव और तेज़ निर्णय लेने की क्षमता ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया।
- वह एक कुशल प्रशासक और संगठनकर्ता थे।
📌 निष्कर्ष: किशन कपूर की राजनीतिक विरासत
किशन कपूर हिमाचल प्रदेश की राजनीति के एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने लगभग 50 वर्षों तक सक्रिय राजनीति में रहकर जनता की सेवा की।
उनकी राजनीतिक विरासत के प्रमुख पहलू:
✔ भाजपा को हिमाचल में मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।
✔ पाँच बार विधायक, कैबिनेट मंत्री और सांसद के रूप में कार्य किया।
✔ विकास कार्यों को प्राथमिकता दी और जनता के बीच लोकप्रिय बने रहे।
✔ परिवहन, शहरी विकास और खाद्य आपूर्ति मंत्री के रूप में कई सुधार किए।
उनका राजनीतिक जीवन हमेशा हिमाचल प्रदेश की राजनीति के इतिहास में याद किया जाएगा।
🌹 श्रद्धांजलि! 🌹