मणिमहेश यात्रा पर विपक्ष के सवालों का सरकार ने दिया करारा जवाब, कांग्रेस सरकार ने बताया पर्यावरण शुल्क एक सकारात्मक और जरूरी कदम

मणिमहेश यात्रा पर विपक्ष के सवालों का सरकार ने दिया करारा जवाब, कांग्रेस सरकार ने बताया पर्यावरण शुल्क एक सकारात्मक और जरूरी कदम

चंबा ज़िले के भरमौर क्षेत्र में स्थित भगवान शिव के पवित्र धाम मणिमहेश यात्रा को लेकर जारी सियासी घमासान के बीच, कांग्रेस सरकार ने भाजपा और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के सवालों पर करारा जवाब दिया है। मणिमहेश झील की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं से 100 रुपये की एंट्री कम सेनिटेशन फीस लिए जाने के निर्णय को लेकर विपक्ष के आरोपों पर सरकार ने साफ किया है कि यह कोई असामान्य कदम नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और यात्रा प्रबंधन के लिए आवश्यक कदम है, जो देश के अन्य पवित्र स्थलों पर भी वर्षों से लागू है।

सरकार की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं से 220 रुपये का पंजीकरण शुल्क लिया जाता है, श्रीखंड महादेव यात्रा के लिए 250 रुपये, और उज्जैन के महाकाल मंदिर में तो दूर से दर्शन के लिए भी 250 रुपये की रसीद कटती है, जबकि गर्भगृह में पूजन के लिए 1500 रुपये तक का शुल्क देना होता है। ऐसे में मणिमहेश यात्रा के लिए 100 रुपये की फीस को लेकर भाजपा का विरोध केवल राजनीतिक दिखावा है।

लाहौल-स्पीति जिले में भी हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के निर्देशों के तहत पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यटकों से फीस वसूलने का प्रावधान लागू किया जा रहा है, जहां भारतीय पर्यटकों से 150 रुपये और विदेशी पर्यटकों से 500 रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क लिया जा रहा है। ऐसे में मणिमहेश जैसे पवित्र और संवेदनशील स्थल पर यह शुल्क पूरी तरह उचित है।

“भाजपा की डबल इंजन सरकार ने मणिमहेश यात्रा के लिए पांच साल में कुछ नहीं किया,” यह आरोप कांग्रेस सरकार की ओर से सीधे तौर पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर पर लगाया गया है। स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों का कहना है कि जयराम सरकार के कार्यकाल में यात्रा मार्ग पर अस्थाई टॉयलेट्स की केवल खानापूर्ति होती थी, जो अक्सर खराब और गंदगी से भरे रहते थे। लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद व्यवस्थाएं धरातल पर नजर नहीं आती थीं।

कांग्रेस सरकार का दावा है कि अब पहली बार करीब दो करोड़ रुपये की लागत से 150 स्थायी और स्वच्छ शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। यही नहीं, मणिमहेश यात्रा के लिए पहली बार समय रहते आवश्यक कदम उठाए जा रहें है जिस से श्रद्धालुओं को सुविधाएं मिल सकें।

जयराम ठाकुर से जनता पूछ रही है कि आखिर पांच साल की भाजपा सरकार के कार्यकाल में मणिमहेश यात्रा के लिए उन्होंने क्या किया? क्या कोई स्थायी ढांचा तैयार किया गया? क्या यात्रा मार्ग पर सुविधाएं विकसित की गईं? क्या पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए कोई प्रयास हुआ?

2022 में भाजपा सरकार ने मणिमहेश यात्रा का तीन साल का हेलिकॉप्टर टेंडर बीच में ही रद्द कर, किराया 2900 रुपये से बढ़ाकर 7400 रुपये कर दिया था। इसके खिलाफ भारी विरोध हुआ, लेकिन भाजपा सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया है कि क्या यह गड़बड़ी थी या भ्रष्टाचार, इसकी जांच क्यों नहीं करवाई गई?

मणिमहेश यात्रा प्रबंधन से जुड़े मणिमहेश ट्रस्ट सदस्य महेन्द्र शर्मा ने कहा, श्रद्धालु सुविधा चाहते हैं, और इसके लिए कुछ न कुछ व्यवस्था जरूरी है। अगर 100 रुपये में साफ रास्ता, शौचालय और कूड़ा प्रबंधन सुनिश्चित होता है, तो इसका विरोध नहीं होना चाहिए। भाजपा केवल राजनीति कर रही है।

हड़सर पंचायत की प्रधान रजनी देवी ने भी निर्णय का समर्थन करते हुए कहा, “यात्रा प्रबंधन के लिए सभी की भागीदारी से यात्रा के सुचारु प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। यह शुल्क जनता पर बोझ नहीं, बल्कि सुविधा का साधन है।”

84 व्यापार मंडल के अध्यक्ष रंजीत शर्मा ने कहा, यह शुल्क व्यवस्था न केवल पर्यावरण सुरक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि यात्रा मार्ग पर सुविधाओं के रख-रखाव के लिए भी अहम है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, साफ-सफाई और व्यवस्था के लिए संसाधन चाहिए होते हैं।

जयराम ठाकुर के स्वयं के क्षेत्र में स्थित श्रीखंड महादेव यात्रा पर भी पंजीकरण शुल्क 150 रुपये है, लेकिन मणिमहेश यात्रा पर सवाल खड़े कर भाजपा नेता दोहरे मापदंड अपना रहे हैं।

सरकार का स्पष्ट कहना है कि मणिमहेश यात्रा कोई आम पर्यटक स्थल नहीं है, यह एक धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है, और यहां पर पर्यावरण शुल्क की व्यवस्था आवश्यक और वैधानिक है।