शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने पंचायतों में निर्माण सामग्री की खरीद को लेकर बीडीओ स्तर पर शुरू की गई नई व्यवस्था पर रोक लगाते हुए, पुनः पंचायत प्रधानों को खरीद प्रक्रिया का अधिकार सौंपने का निर्णय लिया है। राज्य के 91 में से 40 विकास खंडों में चल रही टेंडर प्रक्रिया भी तत्काल प्रभाव से रोक दी गई है। ग्रामीण विकास विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने शुक्रवार को इस संबंध में सभी जिलों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने पंचायत प्रधानों से किया था पुरानी व्यवस्था बहाल करने का वादा
22 अप्रैल को प्रदेशभर से सैकड़ों पंचायत प्रधान शिमला पहुंचे थे और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात कर बीडीओ स्तर पर टेंडर प्रक्रिया को समाप्त करने तथा पुराने सिस्टम को बहाल करने का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री ने पंचायत प्रतिनिधियों की मांग पर सहमति जताते हुए आश्वासन दिया था कि निर्माण सामग्री की खरीद का कार्य पुनः पंचायत प्रधानों के माध्यम से ही होगा।
5 अप्रैल की अधिसूचना को सरकार ने वापस लिया
सरकार ने 5 अप्रैल को एक अधिसूचना जारी कर मनरेगा तथा अन्य विकास मदों (जैसे विधायक निधि, सांसद निधि और डीसी फंड) से होने वाले कार्यों के लिए निर्माण सामग्री की खरीद बीडीओ स्तर पर करने का आदेश दिया था। इसका उद्देश्य खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना था। लेकिन पंचायत प्रधानों के विरोध और मांग के चलते इस अधिसूचना को अब औपचारिक रूप से विड्रॉल कर लिया गया है।
ग्रामीण विकास विभाग ने जारी किए स्पष्ट निर्देश
शुक्रवार को ग्रामीण विकास विभाग ने मंडलीय आयुक्तों, जिला उपायुक्तों, एडीसी/एडीएम, जिला विकास अधिकारियों, जिला पंचायत अधिकारियों, खंड विकास अधिकारियों और सहायक अभियंताओं को पत्र जारी कर निर्देश दिया कि पुरानी व्यवस्था के तहत ही पंचायत प्रधान निर्माण सामग्री की खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया संचालित करेंगे। अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने को कहा गया है।
टेंडर प्रक्रिया पर रोक से बीडीओ स्तर पर चल रही गतिविधियां स्थगित
प्रदेश के 40 विकास खंडों में बीडीओ कमेटी के माध्यम से जो टेंडर प्रक्रिया जारी थी, उसे तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। अब पंचायत स्तर पर प्रधान स्वयं टेंडर प्रक्रिया पूरी करेंगे, जिससे स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया सशक्त होगी। इससे पंचायतों को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सामग्री खरीदने में सुविधा मिलेगी।
भ्रष्टाचार रोकने की नई कोशिश पर अस्थायी विराम
5 अप्रैल को लाई गई नई व्यवस्था का उद्देश्य पंचायतों में खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना था। लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों का तर्क था कि इससे उनके अधिकार सीमित हो रहे हैं और विकास कार्यों में अनावश्यक देरी हो रही है। मुख्यमंत्री ने भी पंचायतों के स्वशासन सिद्धांत को प्राथमिकता देते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल करने का निर्णय लिया है।
पंचायत प्रधानों को मिली बड़ी राहत
सरकार के इस निर्णय से पंचायत प्रधानों को बड़ी राहत मिली है। अब विकास कार्यों के लिए आवश्यक निर्माण सामग्री की खरीद प्रक्रिया में वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार स्वतंत्र निर्णय ले सकेंगे। इससे पंचायतों में विकास कार्यों की गति बढ़ने की उम्मीद है।