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हिमाचल में मनरेगा दिहाड़ी से कम मजदूरी पर काम करने को मजबूर मल्टी टास्क वर्कर्स, कैबिनेट मंत्री के सामने बयां किया दर्द

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हिमाचल प्रदेश, भारत का एक खूबसूरत राज्य, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए विख्यात है, आज एक गंभीर सामाजिक मुद्दे से जूझ रहा है। यहां के मल्टी टास्क वर्कर्स, जो विविध कार्यों में दक्ष होते हैं और सरकारी योजनाओं एवं परियोजनाओं में अपनी सेवाएं देते हैं, उन्हें मनरेगा के तहत निर्धारित दिहाड़ी से भी कम मजदूरी मिल रही है। इस समस्या ने हाल ही में तब सुर्खियां बटोरीं, जब एक सामाजिक समारोह में एक मल्टी टास्क वर्कर ने हिमाचल प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री के सामने अपना दर्द बयां किया।

“हमें मनरेगा से भी कम दिहाड़ी मिल रही है, हमारा भविष्य कैसे सुरक्षित होगा? हमें लड़की कौन देगा?” इस प्रकार के व्यथित प्रश्नों ने समारोह में मौजूद लोगों को गहराई से विचलित कर दिया। यह प्रश्न न केवल आर्थिक संकट को दर्शाता है बल्कि यह भी बताता है कि कैसे आय की कमी सामाजिक स्थिति और विवाह जैसे महत्वपूर्ण निर्णयों को प्रभावित कर रही है।

मनरेगा, जो कि भारत सरकार द्वारा लागू की गई एक महत्वपूर्ण ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना है, ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम मजदूरी और रोजगार की गारंटी प्रदान करती है। हालांकि, इस घटना ने उन चुनौतियों को उजागर किया है जो मल्टी टास्क वर्कर्स को उनके दैनिक जीवन में सामना करना पड़ रहा है।

कैबिनेट मंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लिया और आश्वासन दिया कि सरकार इस समस्या का समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार नागरिकों की भलाई और समृद्धि के लिए काम कर रही है। हम इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर देखेंगे और यथासंभव शीघ्र समाधान खोजने का प्रयास करेंगे।”

इस घटना ने समाज में व्यापक चर्चा को जन्म दिया है, जिसमें लोग मल्टी टास्क वर्कर्स के आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए सरकारी हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। यह मामला न केवल आर्थिक न्याय की आवश्यकता को उजागर करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे सामाजिक समर्थन और सम्मान के लिए उचित मजदूरी आवश्यक है।

हिमाचल प्रदेश सरकार और संबंधित प्राधिकरणों के सामने यह एक महत्वपूर्ण चुनौती है, जिसे हल करने के लिए तत्परता और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। इससे न केवल मल्टी टास्क वर्कर्स की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा बल्कि यह उन्हें समाज में उचित सम्मान और स्थान प्रदान करेगा।

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