कंगना के खाने पर पीछे पड़े विक्रमादित्य, देव परंपरा को बचाने की मोहन भागवत से की अपील

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हिमाचल प्रदेश में चुनावी माहौल तेज होते जा रहा है और इसी के चलते मंडी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह ने भाजपा प्रत्याशी कंगना रणौत पर सीधा निशाना साधा है। शुक्रवार को शिमला में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में मीडिया के समक्ष उन्होंने यह बयान दिया कि भाजपा ने ऐसी प्रत्याशी को उतारा है जिससे देवभूमि की पवित्र परंपराएं खतरे में पड़ गई हैं।

विक्रमादित्य सिंह ने अपने भाषण में कहा, “हमारी सनातनी परंपराएं और देव संस्कृति हिमाचल प्रदेश की आत्मा हैं। जिस प्रकार से विपक्षी पार्टी की प्रत्याशी ने खानपान को बढ़ावा दिया है, वह हमारे संस्कारों के बिलकुल विपरीत है।” उन्होंने आगे जोर देते हुए कहा कि आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत को इस मामले में हस्तक्षेप कर सनातन धर्म की रक्षा करनी चाहिए।

गौरतलब है कि पहले अपने एक बयान पर विक्रमादित्य सिंह यह भी कह चुके हैं कि कंगना मुंबई मे क्या खाती है क्या पीती है इससे उन्हे कोई मतलब नहीं और हिमाचल के मुद्दों पर चुनाव लड़े कंगना। लेकिन अब फिर से उन्होंने कंगना के खान पान पर मुद्दा उछला है।

इस सियासी घमासान में, जहां एक ओर कंगना रणौत अपनी राजनीतिक और निजी टिप्पणियों के लिए चर्चा में रही हैं, वहीं विक्रमादित्य सिंह का यह बयान नए सिरे से चर्चा का विषय बन गया है। कांग्रेस प्रत्याशी ने अपने भाषण में यह भी उल्लेख किया कि यदि भाजपा इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रहेगी, तो यह हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के लिए घातक सिद्ध होगा।

इस पूरे प्रकरण में जहां राजनीतिक बहस गरम है, वहीं हिमाचल प्रदेश के मतदाता इन आरोप-प्रत्यारोपों के बीच अपने विचारों को तरजीह दे रहे हैं। चुनावी मौसम में इस तरह के बयान न केवल राजनीतिक दलों के बीच की तनातनी को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि कैसे धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दे चुनावी रणनीतियों का हिस्सा बन गए हैं।