कार्तिक स्वामी मंदिर और मराली माता मंदिर के कपाट खुलेंगे 13 अप्रैल को

कार्तिक स्वामी मंदिर और मराली माता मंदिर के कपाट खुलेंगे 13 अप्रैल को
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हिमाचल प्रदेश की आध्यात्मिक धरती पर एक बार फिर से भक्ति की एक नई लहर दौड़ने वाली है। कार्तिक स्वामी (केलंग बजीर) और मराली माता मंदिर, कुगती (भरमौर) के कपाट आगामी 13 अप्रैल 2024 को सुबह 10 बजे भक्तों के लिए खोले जाएंगे। यह घटना न केवल हमारी आस्था का प्रतीक है, बल्कि हिमाचल की सांस्कृतिक विरासत का भी जश्न मनाती है।

कार्तिक स्वामी मंदिर और मराली माता मंदिर के कपाट खुलने के कार्यक्रम की रूपरेखा:

  • हवन: 13 अप्रैल को सुबह 8:00 बजे आरंभ होगा, जिससे दिव्यता और पवित्रता का वातावरण सृजित होगा।
  • भजन कीर्तन: सुबह 9:15 से 9:50 तक भक्ति गीतों और कीर्तनों का आयोजन किया जाएगा, जिससे भक्तों के दिलों में भक्ति की गहराई और भी बढ़ेगी।
  • कपाट पूजा: 9:50 पर कपाट पूजा के साथ, मंदिर के द्वार खोले जाने की विधि शुरू होगी।
  • कपाट खोलना: 10:00 बजे पारंपरिक विधि-विधान से मंदिर के कपाट खोले जाएंगे, और भक्त दर्शन के लिए प्रवेश कर सकेंगे।

इस खास मौके पर, समस्त भक्तगणों से निवेदन है कि वे अधिक से अधिक संख्या में पधारें और इस पावन अवसर का हिस्सा बनें। 12 अप्रैल को, किसी भी भक्त को मंदिर में नहीं आने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मंदिर के कपाट बंद होंगे और मंदिर में रुकने की व्यवस्था नहीं होगी।

सभी भक्तों से आग्रह है कि वे कुगती गांव में रुकें और शनि महावीर मंदिर भरमौर की ओर से आयोजित शिव नुवाले का आनंद लें।

कार्तिक स्वामी युवक मंडल कुगती इस अवसर पर आपके सहयोग के लिए तत्पर है। आइए, हम सब मिलकर इस पावन अवसर को सफल बनाएं और मंदिर की मर्यादा को बनाए रखें।

निवेदक: समस्त पुजारी वर्ग, कार्तिक स्वामी मंदिर कुगती।

जय कार्तिक स्वामी (केलंग बजीर)
जय मराली माता

संपर्क करें: विकास शर्मा (9459076298, 8360583814)

मंदिर के कपाट वार्षिक रीति से 30 नवंबर को बंद हो जाते हैं, जिसे बाद में 13 अप्रैल के दिन, विशेष और सामान्य भक्तों के लिए पुनः खोला जाता है। इस अवधि में, इस पवित्र घाटी में किसी को भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं होती, और प्रकृति अपने क्षेत्र को पुनः स्थापित और नवीनीकृत करने का कार्य करती है। मंदिर के द्वार बंद करते समय, केलंग वजीर की प्रतिमा के समक्ष एक तांबे के पात्र में जल भरकर रखा जाता है। जब मंदिर को खोला जाता है, तो पात्र में शेष जल की मात्रा के आधार पर आगामी वर्ष के मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है। यदि पात्र भरा हुआ है, तो यह औसत से अधिक वर्षा का संकेत माना जाता है, जबकि पात्र का खाली होना सूखे की संभावना को दर्शाता है। इस परंपरा और मान्यताओं के आधार पर, इस जनजातीय क्षेत्र के लोगों का जीवन चक्र निर्भर करता है। मंदिर के द्वार खुलने पर, हजारों श्रद्धालु इस स्थल पर आते हैं, जिससे मंदिर परिसर में खड़े होने तक के लिए जगह कम पड़ जाती है।