हिमाचल में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी और लगातार होने वाले तबादलों से हिमाचल शिक्षा के क्षेत्र में देश में 17वें स्थान पहुंच गया है। कुछ वर्ष पहले तक हिमाचल केरल का मुकाबला करता था। इसके मद्देनजर सरकार ने कुछ कड़े फैसले लेने का फैसला लिया है। शिक्षा विभाग ने नया प्रस्ताव तैयार किया है, जिसमें शिक्षकों के तबादले साल में सिर्फ एक बार शैक्षणिक सत्र समाप्त होने के बाद करने की योजना है। लगातार शिक्षक बदलने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए यह प्रावधान किया जा रहा है। शिक्षकों को एक स्कूल में कम से कम तीन वर्ष तक सेवारत रखने की भी प्रस्ताव में सिफारिश की गई है।
सेवानिवृत्ति को लेकर भी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की तर्ज पर साल में एक बार करने का विचार है। विभाग का प्रस्ताव सिरे चढ़ा तो शैक्षणिक सत्र 2024-25 से शिक्षकों के साल में सिर्फ एक बार तबादले और सेवानिवृत्ति होगी। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में शिक्षा का स्तर गिरने के लिए शिक्षकों के पद रिक्त रहना बड़ा कारण है। इसके चलते शिक्षकों की जवाबदेही सुनिश्चित नहीं हो पा रही है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बीते दिनों शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में कड़े फैसले लेने वाला प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए थे। उच्च शिक्षा निदेशालय से जिला उपनिदेशकों से स्कूल-कॉलेजों में वर्चुअल क्लासरूम से संबंधित जानकारियां दस नवंबर तक देने को कहा है। शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने बताया कि 124 वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों, 87 डिग्री कॉलेजों और दो संस्कृत कॉलेजों में वर्चुअल क्लासरूम स्थापित किए हैं। दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी के चलते विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित ना हो, इसके लिए वर्चुअल क्लासरूम बनाए गए हैं।