'धर्मासन' करेगी फौजदारी,दीवानी,राजस्व व भरणपोषण मामलों की सुनवाई.

रोजाना24,चम्बा : कहा जाता है कि हनुमान को लंका पहुंचने के लिए समुद्र पार करने की कोई युुुुक्ति नहीं सूझ रही  थी तभी उन्हें उनकी उड़ने की शक्ति का स्मरण करवाया गया.अपनी शक्तियों का स्मरण होते ही हनुमान वायु मार्ग से लंका जा पहुंचे जिससे वे भगवान राम  की सहायता करने में सफल हुए.ठीक इसी प्रकार पंचायती राज संस्थाओं के पास ऐसी अनेक शक्तियां होते हुए भी पंचायत प्रतिनिधि उनका उपयोग नहीं करते.पंचायती राज संस्थाओं की न्यायिक शक्तियां भी इन्हीं में से एक हैं जिनका उपयोग न किए जाने के कारण न्यायालयों में लोगों को न्याय के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है.

शायद अब सरकार को यह बात समझ आ गई है इसलिए पंचायत प्रतिनिधियों को पंचायती राज अधिनियम के तहत उनकी न्यायिक शक्तियों की जानकारी प्रदान की जा रही है.

ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे स्तर के फौजदारी,दीवानी,राजस्व व भरण पोषण के मामलों का निपटारा  पंचायती राज संस्थाओं की न्यायपीठ ‘धर्मासन’ द्वारा किया जाएगा.इस धर्मासन में बिना वकील की पैरवी के सस्ता न्याय मिल सकेगा.

भरमौर विकास खंड की 29 पंचायतों के लिए पांच अलग अलग स्थानों में सामुहिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है.जिसमें मास्टर ट्रेनर पंचायत निरीक्षक सुनील कुमार,सहायक निरीक्षक देशराज,पंचायत सचिव दीपक कुमार व राजेंद्र कुमार हैं.पहले चरण में 23 जुलाई को ग्राम पंचायत होली,नयाग्राम,दियोल,बजोल,कुलेठ,व कुठेड़ के पंचायत प्रतिनिधियों को न्यायिक कार्यवाही का प्रशिक्षण दिया गया.24 जुलाई को ग्राम पंचायत सांह,लामू,कवारसी,चन्हौता,गरोला,व उलांसा के पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिया गया.25 जुलाई को दुर्गेठी,रणूहकोठी,जगत,औरा,व तुंदाह के पंचायत प्रतिनिधियों को न्यायिक कार्यवाही से अवगत करवाया गया.इस कड़ी के चौथे सत्र में आज भरमौर में ग्राम पंचायत बड़ग्राम,पूरन,घरेड़,खणी,व चोबिया के पंचायत प्रतिनिधियों को इस एक दिवसीय कार्यशाला में जानकारी दी गई.

रोजाना24 डॉट कॉम से बातचीत करते हुए पंचायत निरीक्षक सुनील कुमार,सहायक निरीक्षक देशराज व ट्रेनर दीपक कुमार ने बताया कि पंचायती राज संस्थाओं के धर्मासन में लिखित शिकायत प्रस्तुत करनी होगी जिसे पंचायत के न्यायिक प्रक्रिया के लिए प्रयुक्त रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा और शिकायत कर्ता को शिकायत दर्ज होने की प्राप्ति भी दी जाएगी.उन्होंने कहा कि इस धर्मासन में सिर्फ पंचायत प्रतिनिधि ही शामिल होंगे.न्यायिक प्रक्रिया तटस्थ हो इसलिए जिस वार्ड से सम्बंधित शिकायत होगी उसका वार्ड सदस्य व आरोपित व्यक्ति के सम्बंधित पंचायत प्रतिनिधि भी इस धर्मासन में भाग नहीं लेगा.

धर्मासन चोरी,लड़ाई,झगड़े जैसे फौजदारी मामले में 100 रू.तक का जुर्माना करने का अधिकार रखती है.राजस्व से जुड़े मामले यह धर्मासन तहसीलदार,व उपमंडलाधिकारी को प्रेषित करेगी.भरण पोषण मामलों में यह धर्मासन आश्रित को 500 रुपये तक का खर्च दिलवाने की शक्ति रखता है.

वहीं दीवानी मामलों में 2 हजार रुपये तक के मुल्य की वस्तुओं के विवाद में सुनवाई की शक्तियां हासिल हैं.

न्यायिक प्रक्रिया में मुकद्दमे की सुनवाई के दौरान समन जारी होने से लेकर गवाहों के ब्यान,साक्ष्यों कार्यवाही व निर्णय की मिसलबंदी तैयार होगी.जिसे आवेदन कर्ता  प्राप्त कर सकता है.

पंचायत के निर्णय के खिलाफ शिकायत कर्ता न्यायलय में पंचायत की मिसल को साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत कर सकता है.

न्यायिक प्रक्रिया सीखने के बाद पंचायत प्रधान,उप प्रधान व वार्ड सदस्यों ने कहा कि पंचायत द्वारा इन शक्तियों के उपयोग से ग्रामीण स्तर पर लड़ाई झगड़ों व विवादों को पंचायत स्तर पर ही सुलझाया जा सकेगा और इससे अदालतों में न्यायिक प्रक्रिया में भी तेजी आएगी.