📰 उच्च न्यायालय के आदेशों की अनदेखी! भरमौर अस्पताल में डॉक्टरों के ऑर्डर नहीं, नर्सों ने ज्वाइनिंग नहीं दी – जनता परेशान, विधायक ने दी सख्त चेतावनी

उच्च न्यायालय के आदेशों की अनदेखी! भरमौर अस्पताल में डॉक्टरों के ऑर्डर नहीं, नर्सों ने ज्वाइनिंग नहीं दी – जनता परेशान, विधायक ने दी सख्त चेतावनी

भरमौर, चंबाभरमौर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति अब न्यायालय के आदेशों के बावजूद सुधरती नजर नहीं आ रही है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए स्पष्ट निर्देशों के बावजूद भरमौर में डॉक्टरों की तैनाती नहीं हुई है और हाल ही में जिन छह स्टाफ नर्सों की नियुक्ति के आदेश जारी किए गए, उन्होंने भी अभी तक ज्वाइनिंग नहीं दी है।

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य सचिव को आदेश दिया था कि 17 जून 2025 तक भरमौर अस्पताल में रिक्त चल रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों के कम से कम 50% पदों को भरा जाए। इसी के तहत सरकार ने छह स्टाफ नर्सों के आदेश जारी किए, लेकिन आज तक एक भी नर्स ने कार्यभार नहीं संभाला है।

जनता में बढ़ता आक्रोश
स्थानीय लोगों में इस लापरवाही को लेकर भारी असंतोष है। मरीजों को इलाज के लिए चंबा या टांडा जैसे दूरस्थ अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह स्थिति और भी चिंताजनक बन गई है।

विधायक डॉक्टर जनक राज का सख्त रुख
भरमौर के विधायक डॉ. जनक राज ने इस गंभीर स्थिति को लेकर दो टूक कहा है कि यदि आदेशों के बावजूद कोई कर्मचारी भरमौर में कार्यभार ग्रहण नहीं करता है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी है कि “सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगे।”

उन्होंने कहा, “मैं जनता की समस्याओं को हल करने के लिए राजनीति में आया हूं। यदि मुझे इसके लिए कोई भी सीमा पार करनी पड़ी, तो मैं तैयार हूं।” डॉ. जनक राज ने बताया कि स्वास्थ्य व्यवस्था की इस स्थिति को लेकर उन्होंने स्वयं उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी, जिसके परिणामस्वरूप न्यायालय ने सरकार को 17 जून तक रिक्त पद भरने के निर्देश दिए।

क्या स्वास्थ्य विभाग और सरकार गंभीर हैं?
जनता के बीच यह सवाल लगातार उठ रहा है कि क्या सरकार भरमौर जैसे दूरस्थ और जनजातीय क्षेत्र को स्वास्थ्य सेवाओं में प्राथमिकता देने के लिए वास्तव में प्रतिबद्ध है? बार-बार के आदेशों, चेतावनियों और घोषणाओं के बावजूद नतीजे शून्य हैं।

विधायक के तेवरों से साफ है कि अगर 17 जून तक स्थिति नहीं बदली, तो यह मामला राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर बड़ा मुद्दा बन सकता है।