हिमाचल प्रदेश सरकार ने इमारती लकड़ी और ईंधन की लकड़ी की चोरी को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस कदम में सरकार ने आम और पांच अन्य प्रजातियों के पेड़ों के काटने पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया है।
नए आदेशों के तहत, इन 6 प्रजातियों को वन विभाग के 10 वर्षीय कटाई कार्यक्रम के तहत लाया गया है, जिसका मतलब है कि इन पेड़ों को केवल वन विभाग की अनुमति के बाद ही काटा जा सकता है। हालांकि, इस नियम के तहत घरेलू कार्यों के लिए एक वर्ष में अधिकतम 5 पेड़ों को काटने की अनुमति रहेगी। प्रतिबंधित पेड़ों मे आम, त्रियांबल (फिकस प्रजाति), तुनी (तूना सिलियाटा), पदम या पाजा (रूनस सेरासस), रीठा (सैपिंडस मुकोरोसी) और बान (क्वेरकस ल्यूकोट्राइकोफोरा) के पेड़ शामिल किए गए हैं।
इसके अलावा, राज्य के बाहर सभी तरह की प्रजाति की इमारती लकड़ी और ईंधन की लकड़ी को ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा, जिसका उद्देश्य हिमाचल प्रदेश से लकड़ी की तस्करी पर अंकुश लगाना और राज्य के मूल्यवान संसाधनों को बचाना है।
वन विभाग ने 13 पेड़ प्रजातियों की एक संशोधित सूची अधिसूचित कर दी है, जिनमें काला सरीह, सफेदा, पापूलर, इंडियन विलो, बांस, पाइक/कुई कोष/न्यून, खिड़क, दरक, टीक, अर्जुन, सिंबल, ब्यूल व कामाला प्रजाति के पेड़ शामिल हैं। इन्हें निजी भूमि पर वन परिक्षेत्राधिकारी को सूचित कर काटा जा सकता है, जबकि बाकी अन्य सभी प्रजातियों के पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग की अनुमति अनिवार्य होगी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने इस निर्णय को सराहा और बताया कि इससे वनों के अवैध कटान की रोकथाम होगी और राज्य की जैव विविधता को बचाने में मदद मिलेगी। यह निर्णय स्वदेशी प्रजातियों का संरक्षण करेगा और वन्य जीव संरक्षण में भी मदद करेगा।