रोजाना24,ऊना : खरीफ के मौसम में जिला के 35213 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर किसानों द्वारा अपने खेतों में मक्की, धान, गन्ना, अदरक, तिलहन, दलहन जैसी फसलें तथा सब्जियां इत्यादि उगाई हुई हैं। वहीं लगभग 31518 हैक्टेयर भूमि पर किसानों नें मक्की की देसी व संकर किस्में लगा रखी हैं। यह जानकारी देते हुए कृषि उपनिदेशक, ऊना डॉ अतुल डोगरा ने बताया कि रबी के मौसम की तुलना में खरीफ के मौसम में कीटो के प्रकोप अधिक संभावना रहती है तथा इस मौसम में उगाई गई फसलों को विभिन्न प्रकार के कीड़े अपना शिकार बनाते हैं। उन्होने बताया कि ऐसे में किसानों को आर्थिक हानि से बचने के लिए विभाग द्वारा कुछ हिदायतें जारी की गई हैं। डॉ अतुल डोगरा न बताया कि फॉल आर्मी वर्म नामक कीट ने हिमाचल में अपनी दस्तक दी है। यह कीट अन्य देशों से वर्ष 2018 में भारत के कर्नाटक राज्य में पहुंचा था जहां इसने कृषि को काफी नुकसान पहुंचाया था। उन्होंने बताया कि यह कीड़ा तितली मॉथ के रूप में पौधों के निचले पत्तों पर अण्डे देता है और इन अण्डों से निकली हुई सुन्डियों की विभिन्न अवस्थाएं पौधों को अपना खाना बनाती है। उन्होने बताया कि पौधों के पत्तों को खाकर उनमें समान्तर चलने वाले लम्बे-लम्बे छेद बनाती है और बाद में पूरा पत्ता खा जाती है । उन्होंने बताया कि यह कीड़ा रात के समय पौधों पर हमला करता है तथा दिन में तने के बीच में छुप जाता है । कृषि विभाग ने इस कीड़े की रोकथाम हेतु किसानों को ऐममिक्टिन वेन्जोएट 5 एस जी (0.4 मि. लि. प्रति लीटर पानी) या फ्लूवेण्डामाइड 480 एस सी (0.4 मि. लि. प्रति लीटर पानी) या क्लोरेन्ट्रनिलीप्रोल 18.5 एस सी (0.4 मि. लि. प्रति लीटर पानी) या स्पाइनोसेड (0.3 मि. लि. प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करे ने सलाह दी है। यह छिड़काव सुबह या शाम के समय ही करें तथा 15 दिनों के अन्तराल पर दोबारा छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि यह दवाईयां कृषि विभाग से लाईसेंस प्राप्त निजी कृषि विक्रय केन्द्रों में उपलब्ध है ।उप निदेशक डॉ अतुल डोगरा ने बताया कि किसानों की जानकारी के लिए विभाग द्वारा फॉल आर्मी वर्म के सम्बंधित 5000 पुस्तकें प्रकाशित करवाई गई है जो किसानों को विषयवाद विशेषज्ञ द्वारा ब्लॉक स्तर पर उपलब्ध करवाई जा रही हैं। उन्होेंने बताया कि फॉल आर्मी वर्म के नियंत्रण हेतु फिरोमोन ल्यूर जो कि इस कीट के पतंगों को आकर्षित करता है, शीघ्र ही किसानों को वितरित किये जाएंगे। उन्होेंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग केंन्द्र से संपर्क कर सकते हैं।