रोजाना24,चम्बा :- हिमाचल प्रदेश में सैकड़ों अतुलनीय पर्यटन स्थल लोगों की नजरों से अछूते हैं.इन पर्यटन स्थलों को विश्व मानचित्र पर उभारने के लिए सरकार ने पर्यटन विभाग भी बना रखा है लेकिन यह विभाग भी प्रदेश में पर्यटन बढ़ाने के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च ही करता रहा है इतना अधिक धन खर्च करने के बावजूद कभी वापिस नहीं पूछा कि पर्यटन उस खर्च के अनुपात में बढ़ क्यों नहीं रहा ?
बायोटैक्नोलॉजी के क्षेत्र में फ्रांस में सेवाएं देने के बाद भारत में समाज सेवा में जुटे भरमौर क्षेत्र डॉ अतुल ठाकुर बताते हैं कि पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं.लेकिन सराकार के इस धन से हुए कार्यों से पर्यटक तो नहीं बढ़ते लेकिन इसका दुरूपयोग जरूर हो जाता है.पिछले कुछ वर्षों में भरमौर क्षेत्र में बेरोजगार युवाओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है.लेकिन इस बेरोजगार युवा वर्ग ने सरकार पर नौकरी देने का दबाव बनाने के बजाए पर्यटन को बढ़ाकर रोजगार पैदा कर स्वयं अपने बूते कुछ कर दिखाने की हिम्मत दिखाई है.भरमौर होली घाटी में इस समय करीब तीन सौ युवक पर्यटन से जुड़ी गतिविधियों से जुड़कर अपना रोजगार तैयार कर रहे हैं.यह युवा सोशल मीडिया व वैब साइटों पर भरमौर-होली घाटियों व प्रदेश के अन्य भागों की तस्वीरें व वीडियो लोढ करते रहते हैं.प्रदेश के इन सुंदर स्थलों को निहारने के लिए देश विदेश के कई लोगों के ई मेल व फोन कॉल्स आती हैं.इन पर्यटकों को वे पूरे चम्बा व हिमाचल के विभिन्न स्थलों पर घुमाकर अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं.इन युवाओं के अलावा इस जनजातीय क्षेत्र के होटल व्यवसायियों,ट्रैवल एजेंसी संचालकों,स्थानीय व्यापारियों,न्यूज पोर्टलों ने भी भरमौर क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने में बड़ा योगदान दिया है.डॉ अतुल बताते हैं कि जनजातीय क्षेत्रों में होम स्टे के लिए कागजी खानापूर्ति बढ़ जाने के कारण पर्यटकों को जनजातीय क्षेत्र के पर्यटन स्थलों पर रात्री ठहराव नहीं कर पाते इसलिए पर्यटकों को जनजातीय क्षेत्रों के मनमोहक स्थलों को देखने का वक्त व व्यवस्था ही नहीं मिल पाती.सरकार अगर युवाओं को पर्यटन के क्षेत्र में प्रशिक्षत करे तो यह प्रदेश सरकार के कंधे से आर्थिक बोझ कम कम कर सकता है.