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“भरमौर के लोगों की जान भगवान भरोसे!” – डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं कर पाई सरकार, हाईकोर्ट में मांगा तीन सप्ताह का और समय

"भरमौर के लोगों की जान भगवान भरोसे!" – डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं कर पाई सरकार, हाईकोर्ट में मांगा तीन सप्ताह का और समय

शिमला/भरमौर: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में भरमौर क्षेत्र के अस्पतालों में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भारी कमी को लेकर दाखिल याचिका (CWP No. 8378 of 2025) पर आज हुई सुनवाई में राज्य सरकार कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई

डॉ. जनक राज बनाम राज्य सरकार मामले में सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पिंदर जसवाल ने अदालत को सूचित किया कि कंप्लायंस एफिडेविट दाखिल कर दिया गया है, लेकिन साथ ही सरकार ने डॉक्टरों और स्टाफ की नियुक्ति के लिए और तीन सप्ताह का समय मांगा है।

⚖️ न्यायालय की कार्यवाही:

न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने राज्य की अपील स्वीकार करते हुए मामला अब 14 जुलाई 2025 के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।

इसका अर्थ है कि भरमौर, होली, गरौला, मंधा और जगत जैसे दुर्गम क्षेत्रों के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में जारी डॉक्टरों की भारी कमी का समाधान कम से कम अगले तीन सप्ताह तक नहीं होगा।

🆘 “अब भी इंतजार?” – जनता में गुस्सा

इस बीच स्थानीय लोगों में निराशा और आक्रोश दोनों देखा जा रहा है।
एक स्थानीय नागरिक ने कहा:

“अगर सरकार को नियुक्ति करने के लिए भी हाईकोर्ट की फटकार और समय चाहिए, तो हम मरीज कहाँ जाएँ? अब तो सच में भगवान भरोसे ही जी रहे हैं।”

📌 क्या है मामला?

याचिकाकर्ता डॉ. जनक राज ने यह जनहित याचिका इस आधार पर दाखिल की थी कि भरमौर सिविल अस्पताल में 65 स्वीकृत पदों में से 35 पद खाली हैं और 11 डॉक्टरों के पदों में से केवल 2 डॉक्टर तैनात हैं।
यहाँ तक कि डेंटल सर्जन, चीफ फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स और फार्मासिस्ट जैसे अहम पद वर्षों से खाली पड़े हैं।

📣 “जनजातीय क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव जीवन के अधिकार का उल्लंघन”

हाईकोर्ट ने 28 मई को हुई पिछली सुनवाई में इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए सरकार को निर्देश दिया था कि कम से कम 50% पदों को तत्काल भरें, लेकिन 17 जून को सरकार कोई भी नियुक्ति नहीं कर पाई।

अब 14 जुलाई 2025 को अगली सुनवाई तक की मोहलत दी गई है, लेकिन सवाल यह है कि क्या तब तक कोई ठोस कार्रवाई होगी? या भरमौर के नागरिक तब तक भी सिर्फ इंतजार करेंगे?

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