डॉ जनक की याचिका पर हाईकोर्ट ने भरमौर अस्पताल में खाली पद भरने के लिए दिए 20 दिन

डॉ जनक की याचिका पर हाईकोर्ट ने भरमौर अस्पताल मे खाली पद भरने के लिए दिए 20 दिन, एकमात्र पद स्वीकृत केंद्रों पर तुरंत नियुक्ति जरूरी

हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए – कम से कम 50% स्टाफ की तैनाती हो, जहां एकमात्र पद स्वीकृत है वहां तुरंत नियुक्ति जरूरी

शिमला/भरमौर: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने भरमौर उपमंडल के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में स्टाफ की भारी कमी को गंभीर मानते हुए राज्य सरकार को सख्त निर्देश जारी किए हैं। आदेश सिविल अस्पताल भरमौर, सीएचसी होली, पीएचसी गरौला, पीएचसी मांधा और पीएचसी जगत सहित कई केंद्रों में तैनाती को लेकर पारित हुआ है। यह निर्देश भाजपा विधायक डॉ. जनक राज द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकल पीठ द्वारा दिए गए।

कोर्ट ने 28 मई को हुई सुनवाई में राज्य सरकार के हलफनामे को “न आश्वस्त करने वाला” बताते हुए स्वास्थ्य सचिव को आदेश दिया कि इन क्षेत्रों में कम से कम 50% स्वीकृत स्टाफ की तैनाती सुनिश्चित की जाए। जिन संस्थानों में केवल एक पद स्वीकृत है, वहां तुरंत नियुक्ति की जाए।

जनहित याचिका में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों ने स्थिति की भयावहता को उजागर किया। सिविल अस्पताल भरमौर में कुल 65 स्वीकृत पदों में से 35 पद खाली हैं। 11 स्वीकृत मेडिकल ऑफिसर के पदों में से केवल 2 डॉक्टर कार्यरत हैं, जो 14 सितंबर 2023 से स्थिति को और गंभीर बना रहा है। डेंटल सर्जन का पद 5 सितंबर 2021 से खाली है, जबकि चीफ फार्मासिस्ट की नियुक्ति 2016 से लंबित है। इसके अलावा तीन फार्मासिस्ट, तीन विंटर फार्मासिस्ट और छह स्टाफ नर्स के पद भी खाली हैं। सीएचसी और पीएचसी स्तर पर भी दर्जनों पद लंबे समय से खाली हैं।

भरमौर हिमाचल प्रदेश का आदिवासी और अत्यंत दुर्गम इलाका है। यहां की भौगोलिक परिस्थितियाँ – जैसे कि बर्फबारी, खराब सड़क संपर्क और ऊंचाई – स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को पहले से ही चुनौतीपूर्ण बनाती हैं। इन हालात में आवश्यक स्टाफ का न होना, वहां के लोगों के जीवन और स्वास्थ्य के मौलिक अधिकारों का सीधा हनन माना जा रहा है।

न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 जून 2025 की तिथि निर्धारित की है, जिसमें राज्य सरकार को नियुक्तियों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। उच्च न्यायालय की निगरानी में अब यह देखा जाएगा कि कितनी नियुक्तियाँ समय पर की जाती हैं।

रोज़ाना 24 ने भी इस मुद्दे को लगातार प्राथमिकता दी है – डॉक्टरों की कमी, मणिमहेश यात्रा से पहले संभावित स्वास्थ्य संकट और अस्पतालों में मरीजों की लंबी कतारों को उजागर करते हुए। अब जब अदालत स्वयं इस पर संज्ञान ले चुकी है, तो क्षेत्रवासियों को राहत मिलने की उम्मीद प्रबल हो गई है।