शिमला/मनाली – हिमाचल प्रदेश में बॉलीवुड अभिनेत्री और भाजपा की नव-निर्वाचित सांसद कंगना रनौत एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मुद्दा उनके मनाली स्थित घर के बिजली बिल को लेकर खड़ा हुआ है, जिसकी प्रति सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। हैरान करने वाली बात यह है कि वायरल बिल में हर महीने बिजली की खपत राउंड फिगर में दिख रही है, जिससे इसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठने लगे हैं।
18 महीनों में ₹3.81 लाख का बिजली बिल
जानकारी के अनुसार, कंगना रनौत को बीते 18 महीनों में कुल ₹3,81,953 का बिजली बिल भेजा गया है। बिल में बताया गया है कि उनकी कुल खपत 65,000 यूनिट रही है, जबकि उनके घर में 94 किलोवॉट का कनेक्शन है। वायरल हो रहे दस्तावेज़ों के अनुसार, कंगना के बिल में हर महीने की खपत बिना किसी अंतर के राउंड नंबर में दर्शाई गई है, जैसे कि 3,000, 3,500, 4,000 यूनिट। बिजली विभाग की कार्यशैली पर कई लोग संदेह जता रहे हैं कि क्या किसी रिहायशी भवन में इतने सटीक राउंड फिगर यूनिट्स हर महीने आ सकते हैं?

कंगना का दावा और हकीकत में फर्क
कंगना रनौत ने हाल ही में सोशल मीडिया पर दावा किया था कि उन्हें पहले ₹5,000 का बिल आता था, लेकिन अब वह बढ़कर ₹1 लाख तक पहुंच गया है। उन्होंने यह भी कहा कि वह कोई घराट (आटा चक्की) या फैक्ट्री नहीं चला रही हैं, जो इतनी खपत हो। वहीं, बिजली विभाग के एमडी संदीप कुमार ने इस दावे को आंशिक रूप से खारिज करते हुए कहा कि कंगना के हालिया बिल में दो महीने की पैडिंग राशि शामिल थी और मार्च माह में कुल बिल ₹90,000 के आसपास था।
राजनीतिक बयानबाज़ी तेज
मामले में अब राजनीति भी गरमा गई है। कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कंगना के बिजली बिल की प्रति सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा, “व्यक्ति जितना मर्जी झूठ बोले, सत्य कहीं न कहीं से निकल ही आता है। यही जीवन का सत्य है।” इससे पहले भी विक्रमादित्य सिंह ने कंगना पर निशाना साधते हुए कहा था, “मोहतरमा बड़ी शरारत करती हैं लेकिन बिजली का बिल नहीं भरती हैं, ऐसे कैसे चलेगा?”
फर्जी बिल या सटीक तकनीक?
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने बिल को फर्जी बताते हुए कहा है कि ऐसा संभव नहीं है कि 18 महीनों तक हर बार बिजली यूनिट्स बिना किसी बदलाव के राउंड फिगर में आएं। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि आधुनिक मीटरिंग सिस्टम में ऐसा संभव हो सकता है, खासकर जब औसत खपत के आधार पर बिलिंग की जाए।
बिजली विभाग की चुप्पी पर सवाल
फिलहाल बिजली विभाग की ओर से इस पूरे प्रकरण पर कोई स्पष्ट स्पष्टीकरण नहीं आया है कि क्या यह वायरल बिल प्रामाणिक है या नहीं। यदि बिल असली है, तो सवाल उठता है कि बिलिंग प्रक्रिया में इतनी एकरूपता कैसे संभव है? और यदि यह फर्जी है, तो इसे किसने और क्यों वायरल किया?