हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के बद्दी में एक बड़े भूमि घोटाले का मामला सामने आया है। मल्कुमाजरा क्षेत्र में एक बिल्डर ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर 70 प्लॉट काटे और इन्हें लोगों को बेच दिया। इतना ही नहीं, इन प्लॉटों की रजिस्ट्री और इंतकाल भी हो गया।
इस जमीन पर कई लोगों ने मकान का नक्शा पास करवा लिया, बैंक से लोन लिया और मकान तक बना दिए। अब जब यह मामला खुला है, तो डीसी सोलन की अदालत ने इस जमीन को सरकार के खाते में दर्ज करने का आदेश दिया है, जिससे करीब 45 परिवारों पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है।
कैसे हुआ घोटाला? सरकारी अमले की भूमिका संदिग्ध
डीसी सोलन की अदालत के आदेशों के अनुसार, मल्कुमाजरा की 27 बीघा रिजर्व भूमि को सरकार के अधीन शामिल करने का निर्णय लिया गया है। इस भूमि में 17 अप्रैल 2007 को कंसीलर जमीन भी शामिल थी, जिस पर बिल्डर ने प्लॉट काटे।
सवाल यह उठता है कि सरकारी जमीन पर 2020 से 2023 के बीच रजिस्ट्री और इंतकाल कैसे हुआ? इसमें तहसील और अन्य सरकारी विभागों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।
धारा 118 के उल्लंघन का मामला
हिमाचल प्रदेश में भूमि अधिग्रहण से जुड़ी धारा 118 के तहत, सरकारी भूमि का उपयोग दो वर्ष के भीतर किया जाना अनिवार्य होता है। अब जब यह मामला उजागर हुआ है, तो डीसी अदालत ने इन प्लॉटों की बिक्री पर रोक लगा दी है।
इसके चलते, जिन लोगों ने प्लॉट खरीद लिए लेकिन अब तक मकान नहीं बनाए, वे न तो निर्माण कर सकते हैं और न ही बैंक से कर्ज ले सकते हैं। वहीं, जिन लोगों ने मकान बना लिया है, वे भी संकट में आ गए हैं।
पीड़ित परिवारों की गुहार, डीसी से राहत की मांग
इस मामले से प्रभावित वन रेजिडेंशियल वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों ने डीसी से मुलाकात कर राहत की मांग की है।
सोसायटी के प्रधान संजीव कुमार ने बताया कि इन प्लॉटों की रजिस्ट्री, इंतकाल और भवन निर्माण की स्वीकृति सब कुछ विधिवत हुआ था। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भी न्याय की मांग की थी।
मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लिया और अब डीसी ने प्रभावित लोगों को एक महीने का समय दिया है। हालांकि, प्रशासन इस मामले में किसी भी तरह की कानूनी प्रक्रिया से समझौता करने के मूड में नहीं है।
अब आगे क्या?
- जमीन को सरकारी खाते में दर्ज करने का आदेश लागू होगा।
- घोटाले में शामिल बिल्डर और सरकारी कर्मचारियों की जांच की जाएगी।
- पीड़ित परिवारों को राहत देने के लिए वैकल्पिक समाधान पर विचार किया जा सकता है।
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का यह मामला हिमाचल में भू-माफियाओं की बढ़ती सक्रियता को उजागर करता है। प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रभावित परिवारों को कोई राहत मिलेगी या उन्हें अपने घरों से बेदखल होना पड़ेगा?