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महाकुंभ 2025 से सीख लेकर मणिमहेश यात्रा को सुव्यवस्थित करने की जरूरत, धार्मिक पर्यटन से हिमाचल कमा सकता है हजारों करोड़

महाकुंभ 2025 से सीख लेकर मणिमहेश यात्रा को सुव्यवस्थित करने की जरूरत, धार्मिक पर्यटन से हिमाचल कमा सकता है हजारों करोड़

हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है, लेकिन अव्यवस्थित प्रबंधन, बुनियादी सुविधाओं की कमी और पर्यावरणीय उपेक्षा के कारण यह यात्रा राज्य की अर्थव्यवस्था में उतना योगदान नहीं दे पाती जितना कि संभव है। महाकुंभ 2025 से सीख लेते हुए अगर मणिमहेश यात्रा को व्यवस्थित ढंग से संचालित किया जाए और इसकी अवधि को छह माह तक बढ़ाया जाए, तो यह यात्रा राज्य की अर्थव्यवस्था में हजारों करोड़ रुपये का योगदान दे सकती है

चार धाम यात्रा और महाकुंभ 2025 से सीख लेने की जरूरत (महाकुंभ 2025 से होगा 2 लाख करोड़ का राजस्व)

उत्तराखंड में होने वाली छह माह की चार धाम यात्रा राज्य की अर्थव्यवस्था का प्रमुख हिस्सा है। 2015 की The Hindu की रिपोर्ट के अनुसार, यह यात्रा हर साल लगभग ₹7,500 करोड़ का राजस्व उत्पन्न करती है जो की वर्तमान मे 10000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा होगा। यह दर्शाता है कि धार्मिक पर्यटन को सही ढंग से प्रबंधित करने से राज्य को बड़े पैमाने पर आर्थिक लाभ मिल सकता है

महाकुंभ 2025 से उत्तर प्रदेश सरकार को लगभग 2 लाख करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद है। यह संभव हुआ है बेहतर प्रबंधन, विस्तारित सुविधाओं और पर्यटन को एक संगठित रूप देने के कारण। अगर हिमाचल सरकार भी इसी तरह की रणनीति अपनाए, तो मणिमहेश यात्रा को राज्य के पर्यटन उद्योग की रीढ़ बनाया जा सकता है।

शुरुआती चरण में ही 1000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व संभव

अगर मणिमहेश यात्रा को 6 महीने तक बढ़ाया जाए और इसके प्रचार-प्रसार को बेहतर बनाया जाए, तो शुरुआती दौर में ही 10 से 20 लाख श्रद्धालु इस यात्रा पर आ सकते हैं, जिससे 1000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व उत्पन्न होगा। लेकिन अगर कुगती-लाहौल रोड को इस यात्रा से जोड़ा जाए और यात्रा का व्यापक प्रचार किया जाए, तो यह संख्या 20 से 50 लाख वार्षिक श्रद्धालुओं तक पहुंच सकती है, जिससे हिमाचल प्रदेश को 10000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिल सकता है।

यात्रा को सुव्यवस्थित करने के लिए आवश्यक कदम

1. पर्यावरण संरक्षण शुल्क वसूला जाए

पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए सरकार को प्रत्येक यात्री वाहन से पर्यावरण सुरक्षा शुल्क लेना चाहिए। इससे न केवल राजस्व बढ़ेगा बल्कि यात्रा मार्ग पर अनियंत्रित भीड़भाड़ भी कम होगी।

2. पंजीकरण शुल्क 50-100 रुपये किया जाए

2024 में मणिमहेश यात्रा के लिए 20 रुपये पंजीकरण शुल्क लिया गया था, जिसका कुछ स्थानीय लोगों ने विरोध किया था। लेकिन यह तर्क अव्यावहारिक है क्योंकि 20 रुपये लगभग हर कोई दे सकता है। सरकार को यह शुल्क 50-100 रुपये तक बढ़ाना चाहिए, जबकि गरीबों (BPL कार्डधारकों) को नि:शुल्क प्रवेश की सुविधा दी जा सकती है

3. पार्किंग व्यवस्था और शुल्क

यात्रा मार्ग पर अव्यवस्थित पार्किंग एक प्रमुख समस्या है। सरकार को विशेष पार्किंग जोन बनाकर प्रत्येक यात्री वाहन से पार्किंग शुल्क अलग से लिया जा सकता है। इससे सुव्यवस्थित यातायात और पर्यावरण संरक्षण दोनों में मदद मिलेगी।

4. आधारभूत सुविधाओं का विस्तार

5. कुगती-लाहौल रोड बनवा कर मणिमहेश कैलाश, श्रीखंड महादेव और किन्नर कैलाश यात्रा को जोड़ा जाए

कुगती-लाहौल रोड  मणिमहेश यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए लाभकारी होगा। श्रद्धालु मणिमहेश से सीधे मनाली होते हुए श्रीखंड महादेव और वहां से किन्नर कैलाश की यात्रा कर पाएंगे। इससे उन्हें 250 किलोमीटर कम सफर करना पड़ेगा और हिमाचल में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। यह सड़क हिमाचल में 3 कैलाश कॉरिडोर बनाने में सहायता करेगी।। इससे यात्रा का दायरा बढ़ेगा और श्रद्धालुओं की संख्या 40-50 लाख तक पहुंच सकती है, जिससे हिमाचल को 10000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिल सकता है

6. यात्रा का डिजिटल प्रचार किया जाए

सरकार को यात्रा का डिजिटल प्रचार और ऑनलाइन पंजीकरण को बढ़ावा देना चाहिए।

मणिमहेश यात्रा हिमाचल की अर्थव्यवस्था का बड़ा स्तंभ बन सकती है

अगर सरकार पर्यावरण सुरक्षा शुल्क, पंजीकरण शुल्क और आधारभूत सुविधाओं के विस्तार पर ध्यान देती है, तो मणिमहेश यात्रा हिमाचल की अर्थव्यवस्था का बड़ा स्तंभ बन सकती है। यह यात्रा धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय रोजगार और व्यवसाय को भी बढ़ावा देगी। महाकुंभ 2025 और चार धाम यात्रा से सीख लेते हुए सरकार को इस यात्रा को व्यवस्थित रूप से संचालित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे

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