शिमला: हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों भरमौर (चंबा) और लाहौल-स्पीति को जोड़ने के लिए कुगति से त्रिलोकीनाथ तक टनल निर्माण की कवायद शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि इसका विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर सड़क परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार को भेजा जाए।
यह टनल न केवल दोनों जिलों के बीच की दूरी को कम करेगी बल्कि हिमाचल प्रदेश में पर्यटन को भी नया आयाम देगी। कुगति और त्रिलोकीनाथ दोनों धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल हैं और इन क्षेत्रों में सालभर श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है।
टनल निर्माण से होने वाले फायदे:
- बेहतर संपर्क मार्ग: भरमौर और लाहौल-स्पीति के बीच अभी तक कोई बेहतर मार्ग नहीं है, जिससे लोगों को यात्रा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। टनल बनने से यह समस्या सुलझ जाएगी।
- पर्यटन को बढ़ावा: इस टनल के बनने से हिमाचल प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। कुगति और त्रिलोकीनाथ के बीच बेहतर कनेक्टिविटी पर्यटकों को आकर्षित करेगी।
- स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार: टनल निर्माण और इसके बाद पर्यटन गतिविधियों में वृद्धि से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- दूरी में कमी: टनल के बनने से दोनों जिलों के बीच की दूरी काफी कम हो जाएगी। बर्फबारी और कठिन मौसम के बावजूद भी लोग आसानी से यात्रा कर सकेंगे।
- धार्मिक महत्व: कुगति और त्रिलोकीनाथ दोनों धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। टनल बनने से श्रद्धालु एक ही दिन में दोनों स्थानों की यात्रा कर सकेंगे।
राष्ट्रीय उच्च मार्ग घोषित करना अनिवार्य:
टनल निर्माण के लिए इसे राष्ट्रीय उच्च मार्ग घोषित करना जरूरी है। लोक निर्माण विभाग ने जानकारी दी है कि जब तक केंद्र सरकार इसे राष्ट्रीय उच्च मार्ग का दर्जा नहीं देती, तब तक टनल निर्माण संभव नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने इस विषय पर अधिकारियों को निर्देश दिया है कि परियोजना का विस्तृत प्राक्कलन तैयार कर भारत सरकार को भेजा जाए।
जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में उठी मांग:
2 दिसंबर को हुई जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में भरमौर के कुगति से लाहौल-स्पीति के त्रिलोकीनाथ के लिए टनल निर्माण की मांग जोर-शोर से उठाई गई थी। यह मांग स्थानीय लोगों और जनजातीय क्षेत्र के नेताओं द्वारा की गई, क्योंकि यह टनल इन क्षेत्रों के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास का द्वार खोल सकती है।
टनल बनने के बाद बर्फबारी के मौसम में भी लोग एक जगह से दूसरी जगह आसानी से पहुंच पाएंगे। यह परियोजना जनजातीय क्षेत्रों की कनेक्टिविटी और हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।