मनमोहन सिंह का निधन: आर्थिक सुधारों से लेकर सामाजिक योजनाओं तक उनके योगदान की कहानी

मनमोहन सिंह का निधन: आर्थिक सुधारों से लेकर सामाजिक योजनाओं तक उनके योगदान की कहानी

नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को उनकी आर्थिक सुधारों की ऐतिहासिक पहल और प्रधानमंत्री के रूप में शुरू की गई सामाजिक योजनाओं के लिए हमेशा याद किया जाएगा। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सूचना का अधिकार (RTI), शिक्षा का अधिकार (RTE), मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) और नाभिकीय समझौता जैसे अहम कदम उठाए गए।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। घर पर बेहोश होने के बाद उन्हें रात 8:06 बजे दिल्ली के AIIMS अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया, जहां रात 9:51 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

यूपीए सरकार के दौरान शुरू की गई इन योजनाओं का विचार सरकारी तंत्र से नहीं, बल्कि सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (NAC) से आया। इस परिषद में नागरिक समाज के कार्यकर्ता और विशेषज्ञ शामिल थे, जो इन योजनाओं को आकार देने में सहायक रहे। हालांकि, इन योजनाओं का श्रेय सोनिया गांधी और उनकी टीम ने लिया।

मनमोहन सिंह के कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियां

1. सूचना का अधिकार और मनरेगा (2005)

मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल में, 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम और मनरेगा लागू किए गए। इन योजनाओं ने नागरिकों को सरकारी तंत्र के प्रति जवाबदेह बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2. आरक्षण और उच्च शिक्षा में सुधार

2006 में, तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह ने शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी आरक्षण लागू करने की घोषणा की। इस कदम का कई मंत्रियों ने विरोध किया, लेकिन अंततः इसे लागू किया गया। इस विवाद को शांत करने के लिए, सरकार ने शिक्षा संस्थानों में सीटों की संख्या बढ़ाने का भी निर्णय लिया।

3. किसान कर्ज माफी योजना

2008 में, यूपीए सरकार ने किसानों के लिए एक बड़ी कर्ज माफी योजना का ऐलान किया। इसे 2009 के आम चुनाव में यूपीए की जीत का मुख्य कारण माना गया।

4. शिक्षा का अधिकार और भूमि अधिग्रहण कानून

मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) और भू-अधिग्रहण कानून पारित हुए। हालांकि, भूमि अधिग्रहण कानून को उद्योगों के लिए बाधा माना गया और इसे बदलने की कोशिश की गई, लेकिन इसे पूरी तरह बदला नहीं जा सका।

5. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को गरीबों को सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराने के लिए लागू किया गया। हालांकि, इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका।

नाभिकीय समझौता: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करना

मनमोहन सिंह के कार्यकाल की एक और बड़ी उपलब्धि थी भारत-अमेरिका नाभिकीय समझौता। इस समझौते ने भारत को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दी और देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में अहम योगदान दिया।

विवाद और आलोचनाएं

यूपीए सरकार के दौरान कई योजनाएं सफल रहीं, लेकिन भूमि अधिग्रहण कानून और कुछ अन्य पहलें विवादों में रहीं। इसके अलावा, कई परियोजनाएं राजनीतिक दवाब और योजनाओं के अति-राजनीतिकरण के कारण पूरी तरह प्रभावी नहीं हो पाईं।