हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में गद्दी भेड़पालकों की समस्याओं को लेकर डॉ. जनक राज ने गंभीर मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार की उदासीनता के कारण पारंपरिक भेड़पालक इस पेशे को छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। पलायन के दौरान भेड़-बकरियों की चोरी और अन्य समस्याएं आम हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से इन मामलों पर कार्रवाई नहीं की जाती।
चोरी की घटनाओं पर प्रशासन की लापरवाही
डॉ. जनक राज ने उदाहरण देते हुए अपने चाचा के 12 भेड़-बकरियों की चोरी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि चोरी के इस मामले में उनके बार-बार आग्रह करने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। यह दर्शाता है कि प्रशासन इन घटनाओं को कितनी गंभीरता से लेता है। उन्होंने कहा कि अक्सर इन मामलों को केवल “लीपापोती” कर दबा दिया जाता है।
चारागाहों पर अवैध कब्जे का मुद्दा
डॉ. जनक राज ने चारागाहों पर बढ़ते अवैध कब्जों का मुद्दा भी विधानसभा में जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि गद्दी भेड़पालकों के लिए चारागाह उनकी जीविका का प्रमुख स्रोत हैं, लेकिन इन पर कब्जे के कारण भेड़पालकों को चराई के लिए अन्यत्र भटकना पड़ता है।
पलायन के दौरान इलाज की समस्याएं
डॉ. जनक राज ने पलायन के दौरान भेड़-बकरियों के इलाज में आने वाली कठिनाइयों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भेड़-बकरियां जब बीमार पड़ती हैं तो उनके इलाज के लिए उचित व्यवस्था नहीं होती। इससे भेड़पालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
पारंपरिक पेशे से विमुख हो रहे भेड़पालक
डॉ. जनक राज ने कहा कि इन समस्याओं के कारण पारंपरिक भेड़पालक इस पेशे को छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की, ताकि इस पारंपरिक व्यवसाय को संरक्षित किया जा सके।
सरकार से की यह मांगें
- चोरी की घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
- चारागाहों पर अवैध कब्जों को हटाया जाए।
- पलायन के दौरान पशुओं के इलाज के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों की व्यवस्था की जाए।
- गद्दी समुदाय की समस्याओं को गंभीरता से लेकर उनके समाधान के लिए विशेष नीति तैयार की जाए।