Site icon रोजाना 24

स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सकों की पीजी पॉलिसी में किया बड़ा बदलाव, अब भरना होगा 90 लाख रुपए का चेक

स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सकों की पीजी पॉलिसी में किया बड़ा बदलाव, अब भरना होगा 90 लाख रुपए का चेक

हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सकों के पोस्टग्रेजुएशन (पीजी) के लिए नई नीति लागू कर दी है, जिसमें कड़े नियम और वित्तीय बंधन जोड़े गए हैं। अब पीजी करने वाले चिकित्सकों को 90 लाख रुपए का चेक राज्य स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक (डीएचएस) और चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) के नाम जमा करना होगा। यदि चिकित्सक तय नियमों का पालन करने में विफल रहते हैं, तो डीएचएस या डीएमई इस चेक को कैश कर सकेंगे।

चार से पांच साल का बॉन्ड अनिवार्य

नई नीति के अनुसार, चिकित्सकों को राज्य में सेवा देने का चार से पांच साल का बॉन्ड भरना होगा। इसमें कम से कम एक साल फील्ड ड्यूटी करनी अनिवार्य होगी। फील्ड ड्यूटी के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, एम्स और चमियाना स्थित सुपर स्पेशियल्टी अस्पताल में सेवाएं देना शामिल है।

राज्य सरकार से मिलेगा पूरा वेतन

स्वास्थ्य सचिव एम सुधा देवी ने बताया कि इस सेवा अवधि के दौरान चिकित्सकों को राज्य सरकार की तरफ से पूरा वेतन मिलेगा। इसके बावजूद प्रदेश में सेवा देने के लिए बॉन्ड भरना अनिवार्य किया गया है। प्रदेश के बाहर से आने वाले चिकित्सकों के लिए यह बॉन्ड अवधि पांच साल होगी, जबकि राज्य के चिकित्सकों के लिए यह अवधि चार साल है।

नई नीति पर अधिसूचना जारी

इस संबंध में स्वास्थ्य सचिव ने एक अधिसूचना भी जारी की है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि पीजी कर रहे चिकित्सकों को 90 लाख रुपए का चेक जमा करना होगा और इसके बदले उन्हें बॉन्ड की अवधि पूरी करनी होगी। अधिसूचना के अनुसार, अगर कोई चिकित्सक सेवा अवधि पूरी नहीं करता है, तो जमा किया गया चेक कैश कर लिया जाएगा।

फील्ड ड्यूटी का महत्व

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, फील्ड ड्यूटी का उद्देश्य प्राथमिक और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना है। इससे न केवल चिकित्सकों को व्यावहारिक अनुभव मिलेगा बल्कि प्रदेश के दूरदराज इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।

पीजी छात्रों में नाराजगी

इस नीति से प्रशिक्षु चिकित्सकों में नाराजगी की खबरें भी सामने आ रही हैं। कई चिकित्सकों का कहना है कि 90 लाख रुपए की राशि अत्यधिक है और इससे छात्रों पर आर्थिक दबाव बढ़ सकता है।

क्या है उद्देश्य?

स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इस पॉलिसी से राज्य में प्रशिक्षित चिकित्सकों की संख्या बढ़ेगी और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होगा। सरकार ने यह कदम प्रदेश में चिकित्सकों की कमी को दूर करने और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए उठाया है।

Exit mobile version