हिमाचल प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की स्थिति और उनमें प्रदान की जा रही स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता आज एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बनी हुई है। इस संदर्भ में, विधायक डॉ. जनक राज ने राज्य में मेडिकल कॉलेजों की दयनीय स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उनका कहना है कि चंबा में हड्डी रोग के मरीजों को ऑपरेशन के लिए हजारों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं, वहीं शिमला के आईजीएमसी में मरीजों को पहले दी जाने वाली मुफ्त दवाइयां अब मिलना बंद हो गई हैं।
हिमकेयर (Himcare) और आयुष्मान (Ayushman) जैसी स्वास्थ्य सेवा योजनाओं के बावजूद, हड्डी रोग के कई मरीजों को इलाज की पूरी प्रक्रिया के लिए अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। इससे न केवल मरीजों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है, बल्कि इससे राज्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में गहराई से मौजूद समस्याओं का भी पता चलता है।
टूटी हड्डी को जोड़ने के लिए होने वाले ऑपरेशन में लगभग 50 हजार रुपये तक के उपकरण इस्तेमाल होते हैं। चंबा मे पहले ये उपकरण निजी कंपनी मरीजों को मुहैया करवाती थी। इसका भुगतान हिमकेयर कार्ड के जरिये कंपनी को हो जाता था, लेकिन हड्डी रोग विभाग के साथ कंपनी का करार खत्म हो गया है। इसे अभी तक नवीकरण नहीं किया गया है। यही वजह है कि हड्डी रोग के मरीजों को हजारों रुपये खर्च कर ऑपरेशन करवाना पड़ रहा है।
चंबा मेडिकल कॉलेज में हड्डी रोग विभाग के साथ कंपनी का करार समाप्त होने के कारण, हिमकेयर कार्ड का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिससे मरीजों को दवाइयां और उपकरण खुद खरीदने पड़ रहे हैं। डॉ. जनक राज का कहना है कि इस समस्या के समाधान के लिए सरकार और संबंधित विभागों को तत्परता से कदम उठाने की आवश्यकता है।