हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश: राजनीतिक तनाव और अंतर्कलह के चलते कांग्रेस पार्टी के 9 असंतुष्ट नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी करके मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इन नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री के तानाशाही रवैये और नीतियों के कारण पार्टी हिमाचल प्रदेश में ताश के पत्तों की तरह बिखर रही है।
इन नेताओं में राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, इंद्र दत्त लखनपाल, रवि ठाकुर, देवेंद्र भुट्टो चैतन्य शर्मा, होशियार सिंह, आशीष शर्मा और के. एल. ठाकुर शामिल हैं, जिन्होंने अपनी आवाज उठाई है। इन्होंने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री की नीतियां और कार्यशैली पार्टी और प्रदेश के हित में नहीं हैं।
इन नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ता निराशा और हताशा की स्थिति में हैं। यहां तक कि पार्टी के बड़े और कद्दावर नेता भी चुनाव लड़ने से कतरा रहे हैं, जिससे प्रदेश में पार्टी की स्थिति कमजोर होती जा रही है।
यह भी बताया गया है कि कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष और मंडी की सांसद प्रतिभा सिंह ने पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी की बात कहकर चुनाव मैदान में उतरने से इनकार कर दिया है, जिसे इन नेताओं ने अपने स्टैंड की पुष्टि के रूप में प्रस्तुत किया है।
इन नेताओं ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया है कि उनके तानाशाही रवैये और अहंकार के कारण ही पार्टी की वर्तमान स्थिति उत्पन्न हुई है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वह अपनी गलतियों को स्वीकार करें और पार्टी और प्रदेश के हित में सुधारात्मक कदम उठाएं।
इस घटनाक्रम से स्पष्ट होता है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी एक बड़े संकट से गुजर रही है। पार्टी के भीतर की इस अंतर्कलह का असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है, जो पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती का कारण बन सकता है। यह स्थिति न केवल पार्टी के भविष्य के लिए एक चिंताजनक संकेत है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक स्थिरता पर भी एक प्रश्नचिह्न लगा रही है।
इस परिदृश्य में, कांग्रेस के सामने दोहरी चुनौती प्रस्तुत होती है। पहली, पार्टी के भीतरी विवादों को सुलझाना और एकजुटता की भावना को पुनः स्थापित करना। दूसरी, जनता का विश्वास जीतना और अपनी राजनीतिक साख को मजबूत करना। इसके लिए, पार्टी को एक समन्वित रणनीति अपनाने की आवश्यकता है, जिसमें सभी वर्गों की आवाज़ों को सुना जाए और सम्मानित किया जाए।