‘अपने ही कर्मों का फल’: अन्ना हजारे ने केजरीवाल की गिरफ्तारी पर क्या कहा?

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एक ऐसे समय में जब राजनीतिक उथल-पुथल अपने चरम पर है, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने समाज में व्यापक चर्चा का माहौल बना दिया है। इस घटना पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की प्रतिक्रिया ने और भी गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। अन्ना हजारे ने यह कहते हुए अपनी चिंता व्यक्त की है कि केजरीवाल को उनके ही कामों की वजह से गिरफ्तार किया गया है। यह बात उन्होंने शुक्रवार को कही, जिसमें उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह दुखी हैं क्योंकि केजरीवाल, जो कभी उनके साथ शराब के खिलाफ आवाज उठाया करते थे, अब शराब नीति लाने के लिए कदम उठा रहे हैं।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में दो घंटे की पूछताछ के बाद गुरुवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले केजरीवाल ने केंद्रीय एजेंसी के नौ समन को नजरअंदाज किया था। उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद, AAP ने विरोध प्रदर्शन किया और घोषणा की कि वह जेल से सरकार चलाते रहेंगे।

अन्ना हजारे ने केजरीवाल के राजनीतिक करियर की शुरुआत की याद दिलाई, जब वे 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके लोकपाल आंदोलन में शामिल हुए थे। उसके बाद केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई और दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाग लिया। नवंबर 2021 में लागू शराब नीति ने निजी लाइसेंसधारियों को खुदरा बिक्री बंद करते हुए शराब की दुकानों का प्रबंधन करने की अनुमति दी थी। हालांकि, दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने जुलाई 2022 में प्रमुख नीतिगत उल्लंघनों का हवाला देते हुए और लाइसेंसधारियों को ‘अनुचित लाभ’ का आरोप लगाते हुए चिंता जताई। नतीजतन, उसी वर्ष सितंबर में नीति रद्द कर दी गई थी।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शराब कंपनियों पर थोक लेनदेन में

12% लाभ मार्जिन सुरक्षित करने के लिए आबकारी नीति को प्रभावित करने का आरोप लगाया है। इस मामले ने न केवल राजनीतिक विवाद को हवा दी है बल्कि सामाजिक समर्थन और आलोचनाओं का भी एक नया दौर शुरू किया है।

इस सबके मध्य, अन्ना हजारे की टिप्पणियाँ एक अहम विषय को उजागर करती हैं – व्यक्तिगत आदर्श और राजनीतिक वास्तविकताओं के बीच का संघर्ष। केजरीवाल, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जन आंदोलन का नेतृत्व किया और एक नई राजनीतिक पार्टी का निर्माण किया, आज उन पर नीतिगत उल्लंघनों के आरोप लग रहे हैं। यह घटनाक्रम न केवल उनके समर्थकों के लिए बल्कि उनके आलोचकों के लिए भी चिंता का विषय है।

अन्ना हजारे का यह कहना कि “उनकी गिरफ्तारी उनके अपने कामों की वजह से हुई है,” न केवल इस विशेष घटनाक्रम के बारे में उनके विचारों को दर्शाता है बल्कि यह भी संकेत देता है कि राजनीति में आदर्शवाद और वास्तविकता के बीच कितना बड़ा अंतर है।

इस पूरे मामले में, सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि आम आदमी पार्टी और इसके नेतृत्व के सामने आने वाली चुनौतियाँ केवल राजनीतिक नहीं हैं; ये चुनौतियाँ नैतिक और सिद्धांतिक भी हैं। केजरीवाल की गिरफ्तारी और आबकारी नीति मामले में उनके खिलाफ लगे आरोप दिल्ली की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत करते हैं।

इस घटनाक्रम से उठने वाले प्रमुख प्रश्न यह हैं कि क्या राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को अपने आदर्शों की रक्षा करते हुए सत्ता के मार्ग पर चलना चाहिए, और क्या जनता को उन पर विश्वास करते रहना चाहिए जब वे अपने ही सिद्धांतों से भटक जाते हैं?