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सुक्खू सरकार को झटका, हाईकोर्ट ने हाइडल प्रोजेक्ट्स पर जल कर को किया रद्द

Himachal Hydro Cess

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court) ने राज्य सरकार के हाइडल पावर प्रोजेक्ट्स (Hydel PowerProjects) पर लगाए गए जल कर (Water Cess) को निरस्त कर दिया है। इस निर्णय से सुक्खू (Sukhu) सरकार को एक बड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार ने पानी के उपयोग पर कर लगाकर आय के नए स्रोतों की तलाश की थी, लेकिन हाईकोर्ट के इस आदेश ने सरकार की योजनाओं पर पानी फेर दिया है।

हाईकोर्ट का यह फैसला विभिन्न हाइडल पावर कंपनियों द्वारा दायर की गई याचिकाओं के आधार पर आया। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि जल कर असंवैधानिक है और इससे ऊर्जा उत्पादन लागत में वृद्धि होगी, जिसका अंततः उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ेगा। हाईकोर्ट ने इन तर्कों को मान्यता देते हुए जल कर को निरस्त कर दिया।

इस निर्णय के बाद, हिमाचल प्रदेश की ऊर्जा क्षेत्र में बड़े परिवर्तन की संभावना है। हाइडल प्रोजेक्ट्स (Hydel Projects) राज्य की आर्थिक रीढ़ हैं, और इस फैसले से इन प्रोजेक्ट्स के विकास में गति आने की उम्मीद है। सरकार के लिए, यह निर्णय राजस्व सृजन में एक चुनौती प्रस्तुत करता है, और अब उसे आय के अन्य स्रोतों की तलाश करनी होगी।

राज्य सरकार ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन करेगी और आवश्यक होने पर उच्चतम न्यायालय में अपील करने पर विचार करेगी। इस बीच, हाइडल पावर उद्योग ने इस फैसले का स्वागत किया है, यह कहते हुए कि यह ऊर्जा उत्पादन की लागत को कम करने और राज्य में नवीनीकरण ऊर्जा के विकास को प्रोत्साहित करेगा।

हालांकि, इस फैसले के पर्यावरणीय प्रभावों पर भी चिंता जताई गई है। पर्यावरण संरक्षण समूहों ने आग्रह किया है कि सरकार और उद्योग को सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए और पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग में जिम्मेदारी बरतनी चाहिए।

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