हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में इन दिनों गर्मी का माहौल है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के हालिया बयान ने राजनीतिक चर्चाओं में नई जान फूंक दी है। सोलन जिले की कसौली विधानसभा क्षेत्र में 88 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात देने पहुंचे सुक्खू ने अपने संबोधन में क्रॉस वोटिंग (विपक्ष के पक्ष में मतदान) करने वाले कांग्रेस विधायकों को ‘काले नाग’ कहकर संबोधित किया।
उन्होंने कहा, “कुछ विधायकों ने धोखे से हमारी सरकार को गिराने की कोशिश की। जो अपना ईमान (ईमानदारी) बेच सकता है, वह जनता का क्या भला करेगा?” इस दौरान, सीएम सुक्खू ने भावुकता के साथ यह भी जताया कि कैसे विपक्ष और उनके अपने कुछ साथी, जिन्हें उन्होंने ‘काले नाग’ कहा, ने सत्ता के लिए अपने विचारधारा और निष्ठा को तिलांजलि दे दी।
“हमारे विरोधी और अपने ही कुछ लोगों ने, जो गहरे रंग के नाग की तरह हैं, ने अपना ईमान बेच दिया। जिन 6 विधायकों ने विश्वासघात किया, वे हेलीकॉप्टर से और CRPF की सुरक्षा में आए।” सुक्खू ने आगे कहा कि इस प्रकार की राजनीति न केवल पार्टी के लिए, बल्कि पूरे लोकतंत्र के लिए घातक है।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी बताया कि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार पर किस प्रकार से लगाम लगाई है और जनता की सेवा के लिए विभिन्न परियोजनाओं की शुरुआत की है। उन्होंने बताया कि “हमारी सरकार ने पिछले दरवाजे से होने वाले भ्रष्टाचार को रोका है।”
सुक्खू ने भाजपा पर भी कटाक्ष किया और कहा कि उनकी सरकार को रोकने के लिए विपक्षी दल ने कांग्रेस के अंदर से ही विश्वासघात किया। उन्होंने जोर देकर कहा, “हम ऑपरेशन लोटस से नहीं डरते क्योंकि हम व्यवस्था परिवर्तन के लिए आए हैं।”
इस प्रकार, मुख्यमंत्री सुक्खू का यह संबोधन न केवल राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के लिए, बल्कि अपने पार्टी के अंदर के विश्वासघातियों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में यह घटनाक्रम नई चुनौतियों और संभावनाओं को जन्म दे रहा है।