जनजातीय क्षेत्र भरमौर की ग्राम पंचायत दुर्गठी में आज भी लोग सड़क की बाट जोह रहे हैं.ग्राम पंचायत दुर्गठी के घुड़ैठ गांव को छोड़ दिया जाए तो बाकी के चार वार्डों के लगभग पन्द्रह गांव की जनता आज भी रोजमर्रा की वस्तुएं पीठ पर या फिर घोड़ा खच्चर के माध्यम से घर तक पहुंचाते हैं. जिससे लोगों को राशन में मिल रही सब्सिडी से भी ज्यादा खर्च मील ढुलाई में हो जाता है.उक्त पंचायत के उपरी हिस्से में सेब की बम्पर पैदावार होती है लेकिन सड़क न होने की दशा में सेब को मंडियों तक पहुंचाने में ही जितना खर्च आता है उससे बागवानों का लाभ शुन्य हो जाता है.सात दशकों में बारी बारी से कांग्रेस व भाजपा दोनों पार्टियों की सरकारें रही हैं.लेकिन किसी ने सड़क बनाने के मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया. जिससे ईलाके के लोगों में सरकार व विभाग के प्रति रोष पनपा हुआ है.गौरतलब है कि इस पंचायत के पैदल मार्ग खड़ी चढाई के साथ साथ जोखिम भरे भी हैं.जहां से लोगों के गिरने से घायल होने की सूचनाएं आती रहती हैं.सड़क के अभाव नें लोगों को न तो आपात स्वास्थ्य सेवा 108 का लाभ मिल पाता है व न ही लोग मरीजों व घायलों को तुरंत अस्पताल तक पहुंचा सकते हैं.
ग्राम पंचायत दुर्गठी के प्रधान सुरेश शर्मा ने बताया कि पिछले वर्ष सरकार द्वारा तीन सड़कें स्वीकृत की गई हैं जिनमें दो सड़को को वन विभाग अपनी मंजूरी दे चुका है पूर्व वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने सड़कों के लिए बजट का प्रावधान कर शिलान्यास भी कर दिए हैं.यदि विभाग इन तीन सड़को घुड़ैठ से हाट वाया दुर्गठा, ठोला से ठेड़ू, बराघनाली से हाट वाया ढकोग, का निर्माण करता है तो निश्चित रूप से पंचायत के सभी गांव मात्र नौ कि. मी. की लम्बाई वाली सड़क से आपस में जुड़ जाएंगे.
उन्होने स्थानीय विधायक व विभाग के अधिकारियों से मांग की है कि उपरोक्त सड़कों का निर्माण कार्य कार्य अतिशीघ्र शुरू करवाया जाए ताकि यहां की स्थानीय जनता को इसका लाभ मिल सके.