सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने 20 अगस्त को त्रिलोकनाथ मंदिर मे पूजा अर्चना करने के बाद मणिमहेश यात्रा के लिए प्रस्थान किया था। अब वे मणिमहेश मे कैलाश पर्वत के दर्शन व मणिमहेश झील मे स्नान करके के भरमौर मे पहुँच गए हैं। यहाँ उन्होंने माता भरमानी मंदिर जा के आशीर्वाद की प्राप्ति की। इसके बाद, उन्होंने 84 मंदिरों का दर्शन करके सभी देवी देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त किया।
हर वर्ष सैंकड़ों शिवभक्त मणिमहेश झील में पवित्र स्नान की इच्छा से राशेल तथा कुगति दर्रा से 5 दिन लगातार पैदल यात्रा कर झील में पहुंचते हैं। लाहौली जनसमुदाय में भगवान शिव के प्रति अपार श्रद्धा है और यह यात्रा डढी यात्रा के नाम से प्रसिद्ध है। यात्रा के पहले दिन संदवाड़ी में विश्राम करते हैं और दूसरे दिन खोड़देव पधर पहुंच कर शिव व दुर्गा माता की पूजा के बाद अलियास रात्रि विश्राम करते हैं। तीसरे दिन ग्रेचु नामक चढ़ाई पर कर के कुगति जोत हो कर केलंग वज़ीर पहुंच कर विश्राम करते हैं। पूरे यात्रा मार्ग में यात्री कैलाशपति की जय,माता मराली की जय,खोलूडुवासी की जय,जोतां वाली की जै, ऊंचे कैलाश की जय, आदि जयघोष के साथ अपनी थकान को भुला कर लगातार आगे बढ़ते हैं। चौथे दिन दुर्गम हिमछण्डित नालों, पहाड़ियों व ग्लेशियरों के ऊपर से होकर हनुमान शिला में में ठहरते हैं, और पांचवे दिन गोराजा चौगान और ड़ढी के दर्रे से मणिमहेश झील पहुँचते हैं। झील में स्नान के बाद श्रद्धालु ज्यादातर भरमौर मे 84 मंदिर व भरमानी माता मे आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। उसके पश्चात वे सड़क मार्ग से चंबा हो कर भी लाहौल लौट जाते हैं।