लेकिन छः माह पूर्व से गत सप्ताह तक राजनीतिक पार्टी के चुनाव चिन्हों पर चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीद्वार पूरे आत्मविश्वास व जोश के साथ गांव-गांव जाकर लोगों से अपने पक्ष में समर्थन मांग रहे थे।लेकिन ज्यों-ज्यों बीतता गया पार्टी की ओर से भी उन्हें आगे बढ़ने या रुकने के संदेश जारी होते गए । बहरहाल अब चुनाव में उतरने वाले प्रत्याशियों की अंतिम सूचि जारी होने वाली है।
पुराने प्रत्याशी तो इन विस चुनावों के लिए ऐसे तैयार थे मानो पार्टी के पास विकल्प ही न हो। जबकि दूसरी ओर इन्हीं राजनीतिक पार्टियों विशेषकर कांग्रेस व भाजपा की दूसरी पीढ़ी जोकि क्रमशः युकां व भाजयुमो के रूप में जानी जाती है, के प्रतिनिधि अपने संगठन की शक्ति के बल पर पार्टी टिकट की दावेदारी करने पहुंच गए। अब सत्ता का अनुभव ले चुके पुराने प्रत्याशियों को भी एहसास होने लगा कि आज तक बारी-बारी की परम्परा के कारण आराम से पार्टी टिकट के साथ सत्ता भी हासिल हो जाती थी लेकिन अब समय व परिस्थितियां प्रतिकूल होती दिख रही हैं। तो चुनाव के लिए अपनी पार्टी की ओर से टिकट पाने के लिए प्रयास भी आरम्भ हो गए और यह कार्य तो जनता के बीच अपनी लोकप्रियता साबित करके ही हो सकता था। लिहाजा चुनाव लड़ने के सभी इच्छुक लोग गांव-गांव लोगों को रिझाने निकल पड़े।
इनमें से एक व्यक्ति न तो किसी पार्टी व न ही किसी युवा संगटन से जुड़ा था। लोगों को बस इतना पता था कि यह व्यक्ति आरएसएस से जुड़ा है व भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ उठना बैठना है व आईजीएमसी शिमला में किसी बड़े पद पर बैठा है।
इस विस क्षेत्र में जिस समय निवर्तमान विधायक जियालाल कपूर शासन ठेलते व पूर्व वनमंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी भी चुनाव हारकर अगले विस चुनाव की तैयारी के लिए पांचवे वर्ष का इंतजार कर रहे थे उस समय डॉ जनक राज प्रदेश के औद्यागिक क्षेत्र बद्दी,परवाणु,कांगड़ा, पालमपुर,नूरपुर, चंडीगढ़, दिल्ली में कार्यरत पांगी-भरमौर क्षेत्र के लोगों के साथ बैठकें कर रहे थे।
भरमौर क्षेत्र से बाहर रहकर यहां के लोगों के साथ जारी यह सम्पर्क अभियान से जबतक अन्य राजनेताओं के कान खड़े होते तब तक डॉ जनक राज भरमौर विस क्षेत्र की करीब सभी पंचायतों के लोगों से सम्पर्क साध चुके थे।
लेकिन वे शिक्षण संस्थानों में संवाद के लिए विषय वहीन लग रहे थे। चूंकि डॉ जनक राज अपने चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं ऐसे में वे विद्यार्थियों कई प्रकार से मनोबल बढ़ाने में सक्षम रहते हैं। वहीं चिकित्सक होने का लाभ भी उनके जनसंवाद अभियान के दौरान उनके खूब काम आया। वे जहां जहां जाते लोग स्वास्थ्य समस्या निवारण के लिए उनके पास पहुंच जाते।डॉ जनक राज को भाजपा चुनाव में उतारती है या नहीं यह तो चंद दिनों में सामने आ जाएगा लेकिन चुनाव प्रचार करने के तरीके को लेकर उन्होंने अनुभवी राजनेताओं को भी चौंका दिया है ।
डॉ जनक राज ने विस चुनाव 2017 में भी भाजपा की ओर से चुनाव लड़ने की प्रायस किया था लेकिन उस समय व आज के समय में उनके चुनाव प्रचार के तौर-तरीकों में अनुभवी व सटीक मार्ग दर्शन झलक रहा है। पिछले चुनावों जहां समर्थकों के सहारे दिख रहे थे वहीं इस बार उनका साथ दूर सत्ता में बैठे अनुभवी लोग देते लग रहे हैं।