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84 मंदिर गर्भगृह में दानपात्र रखने के लिए न्यास ने बढ़ाई चाल तो पुजारियों ने दिया जबाव

रोजाना24,चम्बा 26 मार्च : विश्व प्रसिद्ध 84 मंदिर के चढ़ावे पर मणिमहेश न्यास की गढ़ी नजर पर पुजारी वर्ग उखड़ गया है। पुजारी वर्ग ने न्यास द्वारा मंदिरों के गर्भ गृहों में दानपात्र स्थापित करने निर्णय का विरोध किया है। चौरासी मंदिर पुजारियों ने आज उपमंडलाधिकारी एवं सचिव मणिमहेश न्यास को इस संदर्भ में ज्ञापन सौंपा।

मंदिर पुजारी एवं अधिवक्ता करण शर्मा ने कहा कि पुजारी कई पीढ़ियों से मंदिरों में पूजा करते आ रहे हैं। मंदिर में चढ़ने वाले चढ़ावे पर उनकी आजीविका चल रही है। न्यास ने पहले से ही दर्जनों दान पात्र 84 परिसर में स्थापित कर रखे हैं जिनसे प्राप्त आय से पुजारियों को फूटी कौड़ी तक नहीं दी जाती।उन्होंने कहा कि न्यास ने गत वर्ष मंदिर गर्भगृह में दान पात्र स्थापित करने का निर्णय लिया था लेकिन पुजारियों को पूछा तक नहीं गया।उन्होंने न्यास कार्यकारिणी गठन प्रक्रिया व कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि न्यास में कार्यकारिणी गठन में न तो स्थानीय लोगों व न ही पंचायत जन प्रतिनिधियों को विश्वास में लिया गया है। वहीं न्यास अब तक करोड़ों रुपये विकास कार्यों के नाम पर खर्च कर चुका है लेकिन यह विकास कार्य घरातल पर नहीं हुए हैं। न्यास हर वर्ष दान पात्र व प्रीफैब्रीकेटेड शौचालय युनिट खरीद रहा है।

हड़सर से गौरीकुंड के लिए करीब 30 लाख रुपये की लागत से बने रज्जू मार्ग को आज तक किसी ने नहीं देखा। न्यास अधिकारियों से ऐसी गतिविधियों बारे में जब जबाव मांगा जाता है तो वे कोई प्रतिक्रिया नहीं देते।

पुजारियों का पक्ष उपायुक्त की कसौटी पर कितना प्रभावशाली साबित होता है यह तो उनके निर्णय के साथ ही सामने आ जाएगा हालांकि पुजारियों के पास कल भी उपायुक्त के समक्ष अपना पक्ष रखने का मौका है। करण शर्मा बताते हैं कि अगर फैसला पुजारियों के हितों के खिलाफ गया तो वे न्यायलय की शरण लेंगे।

गौरतलब है कि 24 मार्च को मणिमहेश न्यास ने एक सार्वजनिक सूचना जारी करते हुए कहा था कि न्यास 84 मंदिरों के गर्भगृह में दानपात्र स्थापित करने जा रहा है इसलिए पुजारी वर्ग से आज 26 मार्च तक उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई थी। मणिमहेश न्यास सचिव एवं एसडीएम भरमौर मनीष सोनी के अनुसार इस मामले में अंतिम फैसला न्यास के आयुक्त एवं उपायुक्त चम्बा कल 27 मार्च को होने चम्बा में होने वाली बैठक में लेंगे।

बहरहाल एक ओर पुजारी वर्ग अपने हितों की लड़ाई के लिए आगे बढ़ रहा है तो दूसरी ओर न्यास चौरासी मंदिरों के चढ़ावे से होने वाली आय के किसी हाल में छोड़ने के लिए तैयार होता नहीं दिख रहा।

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