यह कैसा आपदा प्रबंधनःमुंह ताकते रह गए प्रवासी मजदूर,स्थानीय लोगों को बांट दिया राशन.

रोजाना24 : कर्फ्यू के बीच राशन की कमी से जूझ रहे प्रवासी मजदूरों को उस समय निराशा हुई जब आपदा प्रबन्धन के तहत उनकी जरूरत का राशन स्थानीय ग्रामीणों में बांट दिया गया.
मामला भरमौर विकास खंड की ग्राम पंचायत सचूईं का है.जहां सचूईं व सावनपुर गांव में प्रवासी मजदूर रह रहे हैं.काम न होने के कारण इनके पास न तो पैसे हैं व न ही राशन.मौसम खुलते ही हर वर्ष की तरह नेपाल से काफी संख्या में कामगार भरमौर पहुंचते हैं जोकि स्थानीय ठेकेदारों के पास कार्य करते हैं.ग्राम पंचायत सचूईं में भी कुछ प्रवासी मजदूर किराये के घर में रह रहे हैं.जिनके कहना है कि उनके पास खाने का सामान समाप्त हो गया है.स्थानीय ग्रामीणों ने इसकी सूचना प्रशासन को दी तो प्रशासन ने राशन तो भेजा लेकिन प्राथमिकता में यह मजदूर नहीं बल्कि वही आए जिनके यहां वोट बने हैं.और राशन स्थानीय ग्रामीणों में बांट दिया जिसमें केवल एक प्रवासी मजदूर व एक रजेरा के व्यक्ति को राशन मिल पाया.राशन प्राप्त करने की उम्मीद लेकर गए इन मजदूरों को खाली हाथ लौटा दिया गया.
नेपाल के इन कामगारों के साथ बच्चे व महिलाएं भी मौजूद हैं.इन लोगों ने कहा कि वे इस बारे न तो किसी से शिकायत कर सकते हैं व न मांग कर सकते हैं.क्योंकि दोनों अवस्थाओं में उन पर भड़ास निकाली जाएगी.यहां रह रहे छ: परिवारों के करीब यह बीस लोग स्थानीय लोगों द्वारा दिए गए राशन पर गुजारा कर रहे हैं.
बताया जा रहा है कि आपदा प्रबंधन के तहत दिया जाने वाला यह राशन में भी भेदभाव का शिकार हो गया जिनके यहां वोट हैं उन्हें राशन मिल गया जबकि जिन्हें सचमुच राशन की ज्यादा आवश्यकता थी वे आज भी लोगों के रहम-ओ-करम पर रहे.
गौरतलब है कि प्रशासन की ओर से सचूईं पंचायत से राशन के लिए जरूरत मंद लोगों की सूचि बनवाई गई जिसमें गांव के सुरेश कुमार,नरेन्द्र,सुमन देवी,खिन्नो देवी,दर्शन देवी,सरोज कुमारी,सुलोचना देवी,आशा देवी,तिलक राज,सरदारी लाल,मनजीत कुमार, केसर सिंह,राम सिंह,शाम लाल,संसार चंद,दीना नाथ,गुड्डी देवी,राम बहादुर व खीमी राम के नाम तो आ गए लेकिन राशन की आस में बैठे दर्जनों लोग मायूस लौट गए.सूचि के केवल दो अंतिम नाम स्थानीय निवासी नहीं हैं.
यह माना जा सकता है कि डिपो से पिछले पांच माह का अग्रिम राशन कोटा ले चुके स्थानीय लोगों के पास भी खाद्यान्न की कमी हो गई है लेकिन मानवता के तौर प्रवासी मजदूरों को प्राथमिकता के आधार पर राशन मिलना चाहिये था लेकिन ऐसा हुआ नहीं.उम्मीद है कल प्रशासन की आंखें खुलें और दिल पसीजे तो इन्हें राशन उपलब्ध करवाए.