रोजाना24,चम्बा : आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है.रोजाना24 आपको ऐसी महिला से रूबरू करवा रहा है जो स्वयं तक निरक्षर हैं लेकिन उन्होंने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा के लिए प्रेरित किया.
जनजातीय क्षेत्र भरमौर में वर्ष 1986 तक कोई नही कह सकता था कि यहां अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने वाला स्कूल भी खुल सकता है.हालांकि उस दौर में भी क्षेत्र के कई से लोग राजनीतिक सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्र में बड़े औहदों तक भी पहुच चुके थे.लेकिन अंग्रेजी माध्यम में बच्चों को पढ़ाया जाए ऐसा विचार भी उनमेंसे किसी ने प्रकट नहीं किया.लेकिन इसी जनजातिय क्षेत्र में एक महिला थी जिसके मन में कुछ बेचैनी सी चल रही थी.’सावित्री गुलेरिया’ नाम की यह महिला कुछ करना चाहती थी लेकिन बिन पढ़ाई के वह भी तो कुछ नहीं कर पा रही थी.वर्षों से वह बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देना चाहती थी.धुन की पक्की सावित्री देवी ने वर्ष 1986 में भरमौर मुख्यालय में श्री जय कृष्ण गिरि पब्लिक स्कूल आरम्भ कर दिया चार बच्चों ने स्कूल में दाखिला भी ले लिया.
आज तक इस स्कूल से एक हजार से अधिक विद्यार्थी पढ़ चुके हैं.सावित्री गुलेरिया के स्कूल की बढ़ती कामयाबी वर्षों बाद यहां कई निजि शैक्षणिक संस्थान खुल गए हैं लेकिन जनजातीय क्षेत्र के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए दो पहला कदम सावित्री गुलेरिया ने उठाया था,उसके लिए लोग उनके आभारी हैं.सही मायनों में सावित्री गुलेरिया महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं.सावित्री गुलेरिया ने ऐसा काम कर दिखाया जिसे करने की हिम्मत कोई भी नहीं कर पा रहा था.
सावित्री गुलेरिया को इस नाम से क्षेत्र में बहुत कम लोग जानते हैं.क्षेत्र में उन्हें ‘बीजी’ के नाम से जाना जाता है.यह नाम उन्हें अपनी BUSY जीवन शैली के कारण मिला है.
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