शिमला। हिमाचल प्रदेश की फार्मा इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा है। मार्च 2025 के लिए जारी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के ड्रग अलर्ट में खुलासा हुआ है कि हिमाचल प्रदेश में निर्मित 38 दवाएं गुणवत्ता जांच में फेल हो गई हैं। यह आंकड़ा पूरे देश में फेल पाई गई 131 दवाओं में सबसे अधिक है, जिससे प्रदेश की औषधि निर्माण इकाइयों की साख पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
हिमाचल की फार्मा इकाइयों पर शिकंजा
ड्रग अलर्ट के अनुसार, फेल हुई 38 दवाएं हिमाचल के बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (BBN) औद्योगिक क्षेत्र और सिरमौर जिले में स्थित फार्मा कंपनियों में निर्मित थीं। इन दवाओं में कई अहम श्रेणियां शामिल हैं जैसे:
- हृदय रोग और मधुमेह की दवाएं
- जोड़ों का दर्द और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के उपचार में उपयोगी दवाएं
- विटामिन और आयरन सप्लीमेंट्स
- एंटीबायोटिक्स और जीवाणु संक्रमण की दवाएं
- एलर्जी और किडनी से संबंधित दवाएं
क्यों फेल हुईं ये दवाएं?
जांच रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर दवाओं में सक्रिय तत्वों (Active Ingredients) की मात्रा तय मानकों से कम या अधिक पाई गई। इसके अलावा कई दवाओं में धूल, अशुद्धियाँ या लेबलिंग की गंभीर त्रुटियाँ भी पाई गईं। यह लापरवाही मरीजों की सेहत पर सीधा खतरा बन सकती है।
पाकिस्तान और चीन की ब्यूटी क्रीम्स में ज़हरीला पारा
सिर्फ दवाएं ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान और चीन से आयातित कुछ ब्यूटी क्रीम्स और लिपस्टिक के सैंपल में भी पारा (Mercury) जैसे जहरीले रसायन की उपस्थिति दर्ज की गई है, जो त्वचा रोग और किडनी संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
पूरे देश में 93 अन्य दवाएं भी सब-स्टैंडर्ड
ड्रग अलर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि देश के अन्य राज्यों में बनी 93 दवाएं भी गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं, जिससे पूरे देश में औषधि विनियमन की सख्ती की आवश्यकता फिर से सामने आई है।
क्या कहती हैं फार्मा नीतियाँ?
हिमाचल की फार्मा नीति को देश में सबसे आकर्षक माना जाता है, और प्रदेश फार्मा हब के रूप में प्रसिद्ध है। लेकिन लगातार गुणवत्ता में गिरावट आने से अब न केवल हिमाचल की साख को ठेस पहुंच रही है, बल्कि मरीजों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ रही है। यदि समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो यह मुद्दा गंभीर स्वास्थ्य संकट में तब्दील हो सकता है।
राज्य औषधि नियंत्रक और CDSCO अब इन कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी में हैं, जिसमें लाइसेंस रद्द करना और जुर्माना लगाना शामिल है।
हिमाचल में बनी दवाओं पर सवाल क्यों?
- हिमाचल भारत का एक प्रमुख फार्मा मैन्युफैक्चरिंग हब है।
- यहां से देश भर के सरकारी और निजी अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति होती है।
- यदि यहां बनी दवाएं फेल होती हैं, तो इसका सीधा असर करोड़ों मरीजों पर पड़ सकता है।
यह पहली बार नहीं है जब हिमाचल में निर्मित दवाएं इस तरह की जांच में फेल हुई हैं, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में दवाएं एक साथ फेल होना फार्मा सेक्टर की निगरानी व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठाता है।