भारतीयों के लिए ICMR की नई डायटरी गाइडलाइंस: प्रोटीन सप्लीमेंट्स के दीर्घकालिक सेवन से बचने की सलाह

भारतीयों के लिए ICMR की नई डायटरी गाइडलाइंस: प्रोटीन सप्लीमेंट्स के दीर्घकालिक सेवन से बचने की सलाह

हाल के एक अध्ययन के बाद, जिसमें पाया गया कि भारत में परीक्षण किए गए 36 लोकप्रिय प्रोटीन सप्लीमेंट्स में से 70% में प्रोटीन जानकारी गलत थी, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भारतीयों के लिए संशोधित डायटरी गाइडलाइंस जारी की हैं। ये दिशा-निर्देश हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) द्वारा तैयार किए गए हैं, जो व्यापक शोध के बाद तैयार किए गए हैं।

इन संशोधित दिशानिर्देशों में विशेष रूप से प्रोटीन सप्लीमेंट्स के दीर्घकालिक सेवन से बचने पर जोर दिया गया है, क्योंकि अधिक मात्रा में प्रोटीन सप्लीमेंट्स का सेवन स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। इसमें हड्डियों में खनिजों की कमी, किडनी में समस्या, और कैल्शियम की कमी जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है।

प्रोटीन सप्लीमेंट्स के दीर्घकालिक सेवन से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम

हेस्टैक एनालिटिक्स की न्यूट्रीजेनोमिक्स काउंसलर ऐशा संघवी के अनुसार, लंबे समय तक प्रोटीन सप्लीमेंट्स का सेवन करने से किडनी के कार्य पर भार बढ़ सकता है। “प्रोटीन युक्त एसिडिक डाइट कैल्शियम की कमी का कारण बन सकती है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है,” उन्होंने बताया। ऐसा एसिडोजेनिक कंटेंट से होता है, जो अत्यधिक कैल्शियम लॉस का कारण बन सकता है।

DHEE अस्पताल की चीफ डाइटीशियन शुभा रमेश का कहना है कि अधिक मात्रा में प्रोटीन सेवन करने से मूत्र में कैल्शियम का उत्सर्जन बढ़ सकता है, जो कि हड्डियों के लिए महत्वपूर्ण खनिज है। यदि इसे आहार में उचित कैल्शियम के साथ संतुलित नहीं किया जाता है, तो समय के साथ हड्डियों के घनत्व में कमी हो सकती है। इसके अलावा, जिन व्यक्तियों को पहले से ही किडनी की समस्या है, उनके लिए अधिक प्रोटीन का सेवन किडनी पर और अधिक दबाव डाल सकता है।

प्राकृतिक स्रोतों से प्रोटीन लेना बेहतर

ICMR-NIN की सलाह है कि भारतीय लोग अपने प्रोटीन की आवश्यकताओं को प्राकृतिक खाद्य स्रोतों से पूरा करें, जैसे कि दालें, अंडे, दूध, और नट्स। इन खाद्य पदार्थों में न केवल प्रोटीन होता है, बल्कि अन्य आवश्यक पोषक तत्व भी होते हैं, जो एक संतुलित पोषण प्रोफाइल प्रदान करते हैं और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने से बचाते हैं।

क्लिनिकल डाइटीशियन कनिका मल्होत्रा का कहना है, “प्राकृतिक स्रोतों से प्रोटीन लेने से स्वास्थ्य को होने वाले लाभ अधिक होते हैं, क्योंकि ये अतिरिक्त पोषक तत्वों के साथ आते हैं, जो कि स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं।”

किन व्यक्तियों को प्रोटीन सप्लीमेंट्स से विशेष खतरा है?

  • वरिष्ठ नागरिक: उम्र बढ़ने के साथ किडनी की कार्यक्षमता कम हो सकती है, ऐसे में अधिक प्रोटीन का सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
  • किडनी की पहले से बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति: किडनी पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो सकती है।
  • गर्भवती महिलाएं: कैल्शियम की आवश्यकता अधिक होती है, और प्रोटीन सप्लीमेंट्स से कैल्शियम असंतुलन हो सकता है।

ICMR के दिशानिर्देशों के अनुसार, स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए संतुलित आहार लेना और उचित हाइड्रेशन बनाए रखना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि आहार विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श लेना हमेशा फायदेमंद होता है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें स्वास्थ्य संबंधित कोई विशेष समस्या है।