अंग्रेजी में पढ़ाने वाला हिंदी स्कूल !

प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा के दयनीय स्तर की दशा किसी से छिपी नहीं है.इक्कीसवीं शताब्दी में बच्चों को स्कूलों में ऐसी शिक्षा दी जा रही है जिसके आधार पर वे भविष्य में अपने लिए दो वक्त की रोटी की व्यवस्था भी नहीं कर सकते.घटिया शिक्षा व्यवस्था बच्चों का भविष्य तब ज्यादा खराब करती है जब शिक्षक दी जा रही शिक्षा को सही तरीके से बच्चों में नहीं उकेर पाते.

आज हम आपको जनजातीय क्षेत्र भरमौर के ऐसे स्कूल के बारे में जानकारी देते हैं जो है तो सामान्य सरकारी प्रारम्भिक स्कूल लेकिन इसमें बच्चे मॉडल स्कूल के बच्चों की तरह पढ़ाई करते हैं.हम बात कर रहे हैं प्रारम्भिक शिक्षा खंड गरोला के अंतर्गत आने वाले प्रारम्भिक स्कूल घुड़ैठ की जहां हिंदी माध्यम का पाठ्यक्रम होने के बावजूद बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा दी रही है.स्कूल के बच्चों से बातचीत करते वक्त ऐसा लगता है मानो किसी अंग्रेजी माध्यम वाले किसी बड़े स्कूल में पढ़ते हों.

बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाने का सिलसिला यहां एसएमसी के माध्यम से तैनात अध्यापिका तन्नवी शर्मा ने शुरू किया है.जोकि स्वयं एक अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल से शिक्षित हैं.तन्नवी शर्मा बताती हैं कि उन्होंने अंग्रेजी माध्यम से बच्चों पढ़ाने के बारे में एसएमसी से बातचीत की तो उन्हें एसएमसी से पूरा सहयोग मिला.शुरू में तो बच्चों को सीखने में कुछ मुश्किल हो रही थी लेकिन हर रोज के अभ्यास ने बच्चों को इस स्तर पर पहुंचा दिया है कि उन्होंने अब अंग्रेजी माध्यम के वार्तालाप को समझना शुरू कर दिया है.उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम पुस्तकों के अनुसार ही चल रहा है लेकिन बच्चों को भविष्य में काबिल बनने के लिए किस प्रकार की प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा यह सिखाने के उद्देश्य से ही बच्चों अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाया जा रहा है.नैतिक ज्ञान,सामान्य ज्ञान,समाजिक मूल्यों,टीमवर्क व योजना तैयार करने जैसे क्रिया कलाप बच्चों को सिखाए जाते हैं.बच्चे भी सीखने के लिए इतने उत्सुक हैं कि कोई भी बच्चा बेवजह अनुपस्थित नहीं रहता.स्कूल में पहली से पांचवी कक्षा तक कुल उन्नीस बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.स्कूल में बच्चों के लिए सिर्फ मूलभूत सुविधाएं हैं.दो कमरों में स्कूल चलता है एक छोटा सा आंगननुमा मैदान है जहां बच्चे खेलने के अलावा मॉर्निंग असेम्बली करते हैं.सुबह दस बजे स्कूल की घंटी बजते ही बच्चे अंग्रेजी भाषा में प्रार्थना शुरू करते हैं तो शाम चार बजे तक वे विभिन्न क्रियाकलापों को अंग्रेजी माध्यम से सीखते हैं.तन्नवी शर्मा ने कहा कि वे स्कूल को मॉडल स्कूल का दर्जा दिलवाना चाहती हैं.जिसके लिए एसएमसी का एक प्रस्ताव शिक्षा उपनिदेशक चम्बा को भेजा जा रहा है.

वहीं एएसएमसी प्रधान सुनील शर्मा का कहना है कि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए उन्हें आधुनिक शिक्षा दी जानी चाहिए.स्कूल में अध्यापकों द्वारा अपने स्तर पर उठाए गए कदम को एक बेहतरीन प्रयास मानते हैं.इस संदर्भ में वे शिक्षा विभाग को मॉडल स्कूल बनाने की मांग कर रहे हैं.

उधर इस मामले में उपमंडलाधिकारी एवं उप शिक्षानिदेशक पीपी सिंह ने कहा कि भरमौर उपमंडल के स्कूलों की  प्रबंधन समितियों की मांगों के अनुसार उन स्कूलों मॉडल स्कूल का दर्जा दिलवाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा.

इस स्कूल में हो रहे क्रिया कलापों से अन्य सरकारी स्कूलों के अध्यापक भी अगर सीख लेते हैं तो बच्चों की शिक्षा का स्तर में उन्नति हो सकती है.