हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की रहने वाली कुसुम ठाकुर ने अपने संघर्ष और दृढ़ इच्छाशक्ति का उदाहरण पेश करते हुए खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023 में तीन पदक जीतकर न केवल अपने जिले बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन किया है। इस प्रतियोगिता में उन्होंने 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण और 100 मीटर दौड़ में रजत पदक जीता। यह सफलता उन्होंने उस समय हासिल की जब डॉक्टरों ने उन्हें दौड़ने से मना कर दिया था।
कुसुम की यह उपलब्धि सिर्फ एक खेल जीतने से कहीं अधिक है; यह एक ऐसी कहानी है जो दिखाती है कि किस तरह अदम्य साहस और दृढ़ इच्छाशक्ति से असंभव को संभव बनाया जा सकता है। कुसुम ने चौथी कक्षा से ही अपने भाई हरीश चंद्र के साथ दौड़ना शुरू किया था, लेकिन 19 वर्ष की उम्र में, कोविड-19 के दौरान, उन्हें एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ा जब उनके दोनों फेफड़ों में पानी भर गया। डॉक्टरों ने उन्हें दौड़ने से साफ मना कर दिया, जिससे वह दो साल तक दौड़ नहीं पाईं।
फिर भी, कुसुम ने हार नहीं मानी। दिसंबर 2022 में, उन्होंने फिर से दौड़ना शुरू किया और रोजाना 6 से 7 घंटे की कठिन प्रैक्टिस की। उनकी मेहनत, संकल्प और दृढ़ता ने उन्हें न केवल दौड़ने में मदद की बल्कि उन्हें एक बार फिर से विजेता बनाया। उनकी इस असाधारण वापसी ने उन्हें हिमाचल की पहली महिला धावक का खिताब भी दिलवाया जिन्होंने 200 मीटर दौड़ 24.13 सेकंड में पूरी की।
कुसुम ठाकुर की कहानी उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो जीवन में किसी भी प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उनकी यात्रा हमें सिखाती है कि दृढ़ संकल्प और कठिन परिश्रम के साथ, हम अपने सपनों को साकार कर सकते हैं, चाहे रास्ते में कितनी भी बाधाएं क्यों न आएं।
कुसुम ठाकुर ने न केवल पदक जीते हैं बल्कि उन्होंने हमें यह भी दिखाया है कि कैसे अडिग विश्वास और साहस के साथ, हम जीवन की सबसे कठिन चुनौतियों को भी पार कर सकते हैं। उनकी सफलता हिमाचल प्रदेश और पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है।