हिमाचल प्रदेश सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2024-25 से शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है, जो राज्य में शैक्षणिक परिदृश्य को नई दिशा प्रदान करेगा। इस नई शिक्षा नीति के अनुसार, अब से साढ़े पांच वर्ष की आयु के बच्चों को भी पहली कक्षा में दाखिला मिल सकेगा। यह निर्णय शैक्षणिक आयु में लचीलापन प्रदान करने और अधिक बच्चों को समय पर शिक्षा प्राप्त करने का अवसर देने के उद्देश्य से लिया गया है।
30 सितम्बर, 2024 तक 6 वर्ष की आयु पूरा करने वाले बच्चे इस शैक्षणिक सत्र में पहली कक्षा में प्रवेश पाने के योग्य होंगे। यह नई नीति न केवल शैक्षणिक जीवन की शुरुआत में बच्चों को अधिक सहजता प्रदान करेगी, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और सुलभता पर भी जोर देगी। सरकार ने शिक्षकों को भी सलाह दी है कि वे अपने शिक्षण तरीकों को इस बदलाव के अनुरूप अधिक लचीला और समझने योग्य बनाएं।
इस नई शिक्षा नीति की घोषणा के बाद से, अभिभावकों और शिक्षकों से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। अभिभावकों का मानना है कि यह नीति उनके बच्चों को जल्दी और अधिक प्रभावी ढंग से शिक्षा प्राप्त करने में मदद करेगी। शिक्षकों ने भी इस पहल का स्वागत किया है, यह देखते हुए कि यह बच्चों को उनकी शैक्षणिक यात्रा में एक बेहतर शुरुआत प्रदान करेगा।
शैक्षणिक सत्र 2025-26 से, एक अप्रैल को छह वर्ष की आयु पूरी करने वाले बच्चों को ही पहली कक्षा में दाखिला दिया जाएगा। इसके अलावा, तीन वर्ष की आयु से अधिक बच्चों को नर्सरी, चार साल से अधिक आयु पर एलकेजी और पांच वर्ष से अधिक आयु होने पर यूकेजी में दाखिले दिए जाएंगे। यह नीति हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार का उद्देश्य है कि इस नीति के माध्यम से शिक्षा को अधिक सुलभ और समावेशी बनाया जाए, ताकि हर बच्चे को उचित आयु में उचित शिक्षा मिल सके। इस पहल से राज्य में शिक्षा के स्तर में सुधार और बच्चों की समग्र विकास में योगदान की उम्मीद है।