मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में भरमौर विस से केवल 50.61% मतों का योगदान,6 बूथों पर मतदान का बहिष्कार !

रोजाना24,चम्बा 30 अक्तूबर : मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव आज शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हो गए ।

मतदान के दिन ही हिमाचल प्रदेश के पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली के निधन के समाचार से लोगों को शोक आवश्य हुआ लेकिन समय के बढ़ते कदमों के साथ मतदाता पोलिंग बूथ की ओर धीरे धीरे बढ़ने लगे । सुबह ग्यारह बजे तक करीब 5% मतदान हुआ था जिससे एक बार ही तो लगने लगा कि निर्धारित समय तक कहीं 40% मतदान ही न हो ? लेकिन दोपहर बाद मतदान में कुछ तेजी आई और मतदान करने के लिए तय समय सायं छ: बजे तक पूरे भरमौर विस में 75077 मतदाताओं में से 37995 लोगों ने अपने मत का उपयोग किया ।

विस क्षेत्र सात मतदान केंद्रों के अलावा अन्य केंद्रों पर मतदान सामान्य रूप से जारी रहा लेकिन मतदान केंद्र एहल्मी,कलॉंस, कलमला,जगत -2,बलमुई,कलाह व घुड़ैठ में लोगों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया । इन सात मतदान केंद्रों में से दुर्गेठी पंचायत के घुड़ैठ मतदान केंद्र पर कुछ प्रभावशाली लोगों के दबाव के बाद कुछ लोगों ने मतदान कर दिया लेकिन इस पोलिंग बूथ के अंतर्गत आने वाले फौंटा,चन्नपट्ट व बसाअ गांव के लोगों ने मतदान नहीं किया ।

शेष छ: पोलिंग बूथों से मतदाताओं ने दूरी बनाए रखी । मतदान के नाम पर बलमुईं मतदान केंद्र पर ईडीसी के माध्यम से चार वोट एकत्रित किए गए जोकि सरकारी कर्मचारियों ने सौंपे थे जबकि कलॉंस बूथ पर भी एक ईडीसी प्राप्त हुआ।

पूरे विस क्षेत्र में सात मतदान केंद्रों पर मतदान का बहिष्कार किया गया लेकिन इस बहिष्कार के कारण जानने व उस विरोध को समाप्त करने के लिए न तो अधिकारियों ने कोई खास दिलचस्पी दिखाई व न ही विधायक ने ।

सहायक निर्वाचन अधिकारी एवम् अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी डॉ संजय धीमान ने सम्बंधित पंचायत प्रधानों को इस मामले हस्ताक्षेप कर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए कहा गया लेकिन जो सरकार व विधायक से नाराज थे तो उन्हें प्रधान भला कैसे फुसला पाते ।

युवक मंडल हाट के सचिव राजेश शर्मा का कहना है कि सड़क निर्माण के मुद्दे पर लोग पहले भी लोस व विस चुनाव के दौरान मतदान बहिष्कार करना चाहते थे लेकिन पूर्व सांसद रामस्वरूप शर्मा ने मौजूदा जिला परिषद सदस्य अनिल शर्मा के सामने सड़क निर्माण का वादा किया था लेकिन आज तक सड़क का कार्य शुरु नहीं हुआ । ऐसे में लोग मीलों पैदल चलकर वोट डालने भी क्यों जाएं ।

लगभग ऐसी ही समस्याएं अन्य गांवों की भी है जिन्होंने मतदान का बहिष्कार कर सरकार की आंखें खोलने के प्रयास का दावा किया है ।