प्रशासन को गंगाजल प्रवाहित करने वालों को मणिमहेश जाने की अनुमति देनी पड़ी,लोगों ने न्यास के गैरसरकारी सदस्यों को बताया गैर जिम्मेदार

रोजाना24,चम्बा 29 अगस्त : प्रशासन का एक निर्णय गद्दी समुदाय के लोगों की रस्मों में अड़चन बनकर खड़ा हो गया तो अक्सर शांत स्वभाव वाले इन जनजातीयों को धरने पर बैठना पड़ा।

हुआ यह कि जिला प्रशासन ने मणिमहेश न्यास को यात्रा के संचालन की जिम्मेदारी सौंप रखी है। जिसके अध्यक्ष अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी व सचिव उपमंडलाधिकारी भरमौर हैं। मणिमहेश न्यास अधिकारियों ने यात्रा के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी कर यात्रा में धार्मिक व पारम्परिक भूमिका निभाने वाले छड़ीबरदारों व चेलों को ही यात्रा की अनुमति देने का फैसला जारी कर पुलिस को पहरे पर बिठा दिया । लेकिन यात्रा के लिए नियम तैयार करते समय न्यास यह भूल गया कि यात्रा में केवल चेलों और छड़ी की भूमिका ही नहीं रहती अपितु इसमें यहां के अनुसूचित गद्दी जनजाति के कई प्रकार के रीति रिवाज भी शामिल हैं।जिन्हें पूरा करना आवश्यक माना जाता है।

गद्दी समुदाय के बहुत से लोग जन्माष्टमी पर्व पर अपने स्वर्गवासी प्रियजनों का गंगाजल लेकर मणिमहेश जा रहे थे लेकन पुलिस ने उन्हें प्रंघाला के पास चैकपोस्ट पर ही रोक लिया । काफी तर्क देने पर भी पुलिस न मानी तो लोग वहीं सड़क पर धरने पर बैठ गए। इस दौरान भरमौर प्रशासन को भी घटना की सूचना दी गई जिसपर उपमंडलाधिकारी भरमौर मनीष सोनी मौके पर पहुंचे। उन्होंने लोगों की परम्परा व धार्मिक भावना को देखते हुए गंगाजल लेकर जाने वाले स्थानीय लोगों को अनुमति प्रदान कर दी। उपमंडलाधिकारी ने कहा कि गंगाजल प्रवाहित करने के लिए मृतक परिवार से केवल दो लोगों को ही अनुमति दी जाएगी।उपमंडलाधिकारी ने कहा कि ऐसी गद्दी रिति रस्मों को निभाने के लिए मणिमहेश जाने के लिए उनके कार्यालय से अनुमति आवश्य ले लें ।अनुमति प्राप्त करने के लिए अधिकतम दो लोगों के आधार कार्ड नंबर,दो वैक्सीन डोज या कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट व मृत्तक का मृत्यु प्रमाणपत्र की प्रति आवश्य लाएं ।

 गद्दी समुदाय में मान्यता है कि मृत्तक की अंत्येष्टि उपरांत उसकी अस्थियों को हरिद्वार में गंगा नदी में प्रवाहित किया जाता है । इस दौरान वहां से लाए गए गंगाजल को मृत्तक की आत्माचिन्ह के रूप में माना जाता है । चूंकि गद्दी समुदाय का हर का कार्य शिव से शुरू व शिव के साथ समाप्त होता है । पैदा होने के बाद बच्चों के सिर के बालों को शिव को अर्पित करने के बाद चालू हुए जीवन चक्र की इस कड़ी में उस गंगाजल को मणिमहेश कुंड में अर्पित कर मृत्तक की आत्मा को शिव धाम में पहुंचा माना जाता है ।स्थानीय लोगों ने घटना के लिए मणिमहेश न्यास के गैर सरकारी सदस्यों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सरकारी अधिकारी गद्दी समुदाय से सम्बंध नहीं रखते ऐसे में उन्हें यहां के रीति रिवाजों का पता नहीं होता लेकिन न्यास में शामिल गैर सरकारी सदस्य तो भरमौर मुख्यालय के ही हैं गद्दी समुदाय से ही हैं। आखिर ऐसे नियम बनाते वक्त वे कहां थे ? अगर वे समुदाय के हितों को सरकार व प्रशासन के समक्ष नहीं रख सकते तो उन्हें न्यास में भी नहीं रहना चाहिए।