रोजाना24,चम्बाः कोरोना से संक्रमित होने का भय किसे नहीं डराता ! लेकिन हमारे बीच एक ऐसा वर्ग भी है जो कोरोना, संक्रमितों के बीच रहता है,उनकी देखभाल,उपचार के साथ साथ उनकी साफ सफाई का ध्यान भी रखता है।जान की दुश्मन इस महामारी से लड़ने का जिगर किसी में है तो निःसंदेह यह वर्ग स्वास्थ्य कर्मियों का हैं।फिर चाहे वे बड़े चिकित्सक हों या छोटे,पैरामेडिकल स्टाफ हो या फिर अस्पताल के सफाई कर्मी,इस महामारी से वे निर्भीक योद्धा की भांति लड़ रहे हैं। हालांकि इस युद्ध में इन कोरोना योद्धाओं में से कुछ को अपने प्राणों की आहुति भी देनी पड़ी है।इसके बावजूद इन कोरोना योद्धा ने इस युद्ध में डर कर पीठ नहीं दिखाई है।बल्कि कोविड-19 नामक शत्रु की आँखों में आँख डालकर उसे घुटनों पर लाने पर तुले हैं।पिछले दस माह से वे लगातार लड़ रहे हैं घायल हो रहे हैं,फिर उठकर लड़ाई में कूद रहे हैं। महामारी के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों का छुट्टी पर न जाना इनके बेखौफ हौसले,-एबुलंद इरादों का सबूत है।
कोरोना से चल रहे इस युद्ध में जनजातीय क्षेत्र भरमौर के नागरिक अस्पताल में एक चिकित्सक सहित चार स्वास्थ्य कर्मी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे,इस युद्ध में वे घायल हो गए थे यह शब्द इन योद्धाओं के लिए ज्यादा उपयुक्त हैं। करीब पंद्रह दिनों के आईसोलेशन पीरियड व उपचार के बाद एक चिकित्सक व 2 पैरामेडिक स्टाफ के लोग कोरोना से जारी लड़ाई में अपना सहयोग जारी रखने के लिए अस्पताल में ड्यूटी पर लौट आए हैं। इन स्वास्थ्य विभाग के इन कोरोना योद्धाओं का अस्पताल मुख्य द्वार पर फूल मालाएं पहनाकर स्वागत किया गया।
खंड चिकित्सा अधिकारी अंकित शर्मा ने कहा कि हमारे कोरोना योद्धा अपने जीवन को जोखिम में डालकर कोविड-19 संक्रमित मरीजों की देखभाल कर रहे हैं इसलिए यह सम्मान के अधिकारी हैं।उन्होंने कहा कि अस्पताल में कोविड संक्रमण का सबसे अधिक जोखिम चिकित्सालय परिसर में ही होता है क्योंकि कोरोना लक्षण वाले लोगों को जांच करवाने अस्पताल ही जाना होता है।ऐसे में अस्पताल परिसर में अरिरिक्त सतर्कता की जरूरत रहती है।इसलिए यहां मास्क पहनने व शारीरिक दूरी के नियम का कड़ाई से पालन करवाया जाता है।खंड चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड 19 के संदर्भ में जारी दिशा निर्देशों का कड़ाई पालन करना चाहिए तभी इस महामारी के प्रसार को रोका जा सकता है।