रोजाना24,चम्बाः जून- केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं और स्कीमों का लाभ सही मायनों में तभी मिल सकता है जब लोग सबसे पहले स्वरोजगार के प्रति प्रेरित होंगे और उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने को लेकर सही दिशा मिलेगी। उपायुक्त विवेक भाटिया ने ये बात आज जिला अग्रणी बैंक द्वारा बचत भवन में आयोजित जिला स्तरीय समीक्षा एवं जिला परामर्श समितियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उपायुक्त ने वित्तीय साक्षरता और कौशल विकास की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि चंबा जिला में लोगों को वित्तीय साक्षरता के अलावा कौशल विकास को लेकर एक ऑनलाइन सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। उपायुक्त ने इस सेमिनार को ‘फाइनेंशियल विज़डम’ का नाम देते हुए कहा कि यह वेबिनार 10 जुलाई को 12 बजे से लेकर दोपहर 1:30 बजे तक किया जाएगा जिसमें 5 सेशन रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस सेमिनार का मकसद लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद की परिस्थितियों के मद्देनजर लोगों की जरूरत के मुताबिक जहां उनको वित्तीय साक्षरता के तौर पर सक्षम बनाना है वहीं उनके कौशल विकास और स्वरोजगार को सुनिश्चित भी करना होगा। उन्होंने यह भी कहा की 10 जुलाई को होने वाले इस सेमिनार से पहले वे स्वयं 3 जुलाई को सेमिनार के स्रोत व्यक्तियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस करेंगे।उपायुक्त ने कहा कि चंबा जिला में कृषि, बागवानी, पशुपालन के अलावा पारंपरिक हस्तशिल्पों में स्वरोजगार के अनेक अवसर मौजूद हैं। उन्होंने कौशल विकास और जागरूकता को स्वरोजगार की पहली सीढ़ी बताते हुए कहा कि उद्योग विभाग के अलावा खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, हैंडलूम व हैंडीक्राफ्ट विकास निगम और भूरि सिंह संग्रहालय जिला के विभिन्न हस्तशिल्पकारों के लिए कार्य योजना तैयार करें। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्पकारों द्वारा ऐसे उत्पाद तैयार किए जाने चाहिए जिनका स्टैण्डर्ड डिजाईन हो और मार्केट के अनुरूप सेल वेल्यू रहे। काष्ठ और प्रस्तर शिल्प में समृति चिन्ह भी तैयार किए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कौशल विकास के साथ स्वरोजगार को जमीनी हकीकत पर उतारने की जरूरत है ताकि कुटीर उद्योग के रूप में अपने घरों से ही उत्पाद तैयार करने वाले कलाकारों को ना केवल कॉविड- 19 के इस वर्तमान समय में बल्कि कॉविड के बाद भी निरंतर आर्थिक संबल मिलता रहे। उन्होंने कहा कि यदि आज इन शिल्पकारों को संरक्षण और संवर्धन नहीं मिला तो दशकों बाद यह बीते ज़माने के ऐसे पारंपरिक व बेजोड़ हुनर होंगे जो लुप्तप्राय रहेंगे।बालू स्थित ग्रामीण स्वरोजगार एवं प्रशिक्षण संस्थान(आरसेटी) की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने निर्देश देते हुए कहा कि संस्थान अपने यहां आयोजित होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों के व्यवहारिक आउटकम को लेकर गंभीरता बरते ताकि प्रशिक्षण कार्यक्रमों का अपेक्षित औचित्य सबके सामने आए। बैठक का संचालन करते हुए अग्रणी जिला प्रबंधक भूपेंद्र कालिया ने उपायुक्त को अवगत करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2019- 20 के दौरान केवल कृषि क्षेत्र में ही 1 5 9. 8 2 करोड़ की राशि के ऋण वितरित किए गए।जबकि सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए 115. 35 करोड़ के ऋण मुहैया किए। उन्होंने बताया कि सरकार के आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत कृषि और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत रेहड़ी- फड़ी व्यवसाय करने वालों के लिए भी बैंक द्वारा वित्तीय मदद दी जाएगी।बैठक में जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के परियोजना अधिकारी एवं उप निदेशक के सौरभ जस्सल, भारतीय रिजर्व बैंक, नाबार्ड के अधिकारियों के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारी और बैंकर्ज़ मौजूद रहे।