रोजाना24,चम्बा : चम्बा जिला के विकास खंड भटियात में विकास खंड अधिकारी के विरुद्ध पंचायत सचिवों के बीच चल रही आंतरिक कलह आज सार्वजनिक हो ही गई.पंचायत सचिवों ने अपने अधिकारी पर विकास कार्यों में अनियमिताएं बरतने व कर्मचारियों के मानवाधिकारों का उलंघन करने का आरोप जड़ा.विकास खंड के पंचायत सचिव संघ के प्रधान संजय विमान,कोषाध्यक्ष चूहड़ सिंह,महासचिव पवन कुमार की अगुआई में आज सामुहिक रूप से इस्तीफे सौंपने तहसीलदार चुवाड़ी के कार्यालय पहुंचे.एक साथ दर्जनों पंचायत सचिवों के इस्तीफे की जानकारी पाकर तहसीलदार भी चौंक पड़े.उन्होंने पंचायत सचिवों से जब इस निर्णय का कारण पूछा तो पंचायत सचिवों ने विकास खंड अधिकारी पर विकास कार्यों में अनियमिताएं बरतने व पंचायत सचिवों पर अवैध रूप से कार्य करवाने का दबाव डालने के आरोपों की झड़ी लगा दी.जिस पर तहसीलदार ने उन्हें सुझाव दिया कि पहले वे अपनी समस्या को सरकार के समक्ष रखें ताकि सरकार को पता चल सके कि पंचायत सचिव सामुहिक इस्तीफे क्यों देना चाहते हैं.तहसीलदार की बात पर उन्होंने इस्तीफे न सौंपकर तीन दिन तक सामुहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है.पंचायत सचिवों का कहना है कि उक्त अधिकारी उनसे गलत तरीके से कार्य करवा कर उनसे भ्रष्टचार करवाना चाहता है.जिसमें पौधों की खरीद,सीसीटीवी खरीद,मनरेगा के मस्ट्ररोल जारी न करना,ग्राम सभा की कार्यवाही खुली रखकर अपनी मर्जी से कार्य डलवाना,बिना बिल के ही भुगतान करवाना,मनरेगा के कार्यों में अपने स्तर पर ही सामग्री खरीदना.बीपीएल सर्वेक्षण के लिए बिना कमेटी गठित किए दबाव बना कर सर्वे करवाना,समय पर वेतन न देना,कर्मचारियों की बीमारी पर भी अवकाश मंजूर न करना आदि शामिल हैं.
कुछ पंचायत सचिवों ने दबी जुबान में यह भी कहा कि अगर विजिलैंस मामले की जांच करे करोडों रुपयों का गोलमाल सामने आएगा क्योंकि मनरेगा के कार्य नकली मस्ट्ररोल पर भी चल रहे हैं.
पंचायत सचिवों ने कहा कि वे शुक्रवार तक सरकार को मामले पर कार्यवाही करने का समय दे रहे हैं.उन्होंने ज्ञापन के माध्यम से मांग की है कि उक्त अधिकारी के तबादला से कम उन्हें कुछ मंजूर नहीं.अगर सरकार शुक्रवार तक उक्त अधिकारी का तबादला नहीं करती तो सामुहिक इस्तीफे देने के लिए तैयार बैठे हैं.
उधर इस बारे में भटियात विकास खंड के बी डी ओ बशीर खान ने पंचायत सचिवों के आरोपों को गलत बताते हुए उन पर ही अनियमिताएं बरतने के आरोप लगाए हैं.उनका कहना है कि उच्चाधिकारियों के मांगने पर पुरी रिपोर्ट पेश करेंगे.
मामले में कौन सही कौन गलत है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन धुआं निकला है तो कहीं आग तो जली ही होगी.आखिर क्यों कोई अपनी जमीजमाई नौकरी दांव पर लगाएगा !
पूरे मामले के बाद लोगों के दिमाग में एक प्रश्न घूमने लगा है कि अगर उक्त अधिकारी के विरुद्ध उठी जांच की मांग को दरकिनार कर सरकार अगर उसका तबादला अन्य विकास खंड में करके पंचायत सचिवों की मांग पूरी कर देती है तो इसकी क्या गारन्टी है कि उस विकास खंड में भी इस प्रकार का मामला न बने ! वहीं दूसरी ओर कुछ लोग पंचायत सचिवों द्वारा देरी से मामला उठाने के लिए उन पर भी प्रश्न चिन्ह लगाए हैं.तहसीलदार चुवाड़ी ने फिलहाल मई मला सरकार को प्रेषित कर दिया है अब शुक्रवार तक देखना रोचक है कि सरकार का निर्णय मामले में क्या रंग लाता है.