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अपने हजारों छात्रों को रुला गया वो 'बैस्ट टीचर'.

रोजाना24,चम्बा :- अपनी  सरकारी नौकरी के अठतीस वर्षों में से चौबीस वर्ष जनजातीय क्षेत्र भरमौर के बच्चों की शिक्षा के लिए देने वाले पूर्व भाषा अध्यापक प्यार सिंह राणा की 23 नवम्बर को मृत्यु हो गई.चौसठ वर्षीय प्यार सिंह राणा पिछले कुछ समय से फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे थे.उनकी मृत्यु के समाचार से भरमौर क्षेत्र के उनके पूर्व छात्रों ने शोक प्रकट किया है.उनके पूर्व छात्रों में रविंद्र कुमार,मनोज कुमार,शिव कुमार,संजीव कुमार,रेखा देवी,सुरिंद्र कुमार,पवना ठाकुर आदि ने कहा कि प्यार सिंह राणा भले ही भाषा अध्यापक थे लेकिन गणित,उर्दू,समाजिक अध्ययन के विषयों को वे इतने सरल व रोचक तरीके से पढ़ाते थे कि उनके विषय में कोई विद्यार्थी अनुतीर्ण ही नहीं होता था.उन्होंने कहा कि प्यार सिंह राणा कभी भी छात्रों पर हाथ नहीं उठाते थे.

1997 को स्वतंत्रता दिवस की पचासवीं सालगिरह पर उन्हें भरमौर प्रशासन ने ‘बेस्ट टीचर’ का सम्मान भी दिया था.लम्बी चौड़ी कद काठी, चेहरे पर बड़ी व घनी मूंछें व भेड़ की ऊन से बना गद्दी कोट पहनने वाले प्यार सिंह राणा का व्यक्तित्व काफी रौबदार था.रौबदार दिखने के बावजूद वे ह्रदय से कोमल थे.

जेबीटी,प्रभाकर का कोर्स करने बाद वर्ष 1974 में पहली बार उन्हें एडहॉक पर रा प्रा वा कुआं में नियुक्ति मिली थी.इसके छ: माह बाक ही उन्हें जेबीटी अध्यापक के तौर पर राप्रापा कलॉंस में तैनात किया गया.इसके एक वर्ष बाद ही उनका तबादला जनजातीय क्षेत्र भरमौर के राप्रापा गरोला में हो गया.गरोला के बाद वे कई वर्षों भरमौर के ही प्रापा कुठल में बच्चों को शिक्षित करते रहे.वर्ष 1987 में उन्हें भाषा अध्यापक के तौर पर पदोन्नति मिल गई और वे तत्कालीन राजकीय उच्च विद्यालय भरमौर में तैनात हुए इस स्कूल में वे वर्ष 2002 तक लगातार सेवाएं देते रहे.पंद्रह वर्ष के इस कार्यकाल में उनके कार्य को बहुत अधिक सराहना मिली.जिस कारण उन्हें बेस्ट टीचर का सम्मान भी दिया गया.

प्यार सिंह राणा शिक्षा को उतना ही उपयोगी मानते थे जैसे जीवित रहने के लिए सांसें.उनके तीनों पुत्र व तीनों बहुएं भी इस समय स्कूलों व कॉलेज में अध्यापक व प्रवक्ता क् पदों पर हैं.क्षेत्र के लोगों ने उनकी मृत्यु को एक बेहतरीन अध्यापक व समाज सुधारक का खोना बताया है.

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