अभिभावकों द्वारा कानून हाथ में लेने, फिर स्कूल प्रबंधन द्वारा अध्यापक का समर्थन न करने और उसके बाद स्थानीय लोगों द्वारा स्कूल के खिलाफ तथा अभिभावकों द्वारा स्थानीय लोगों के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करने से, असली मुद्दा, जिसके कारण यह पूरा विवाद शुरू हुआ था, दब गया। मुद्दा है—बच्चों की सुरक्षा में चूक का। रोजाना 24 किसी व्यक्ति विशेष पर उंगली नहीं उठा रहा सिर्फ बच्चों की सुरक्षा की तरफ ध्यान आकर्षित कर रहा है।
इस पूरे विवाद के दौरान हजारों मुद्दों पर चर्चा हुई—स्कूल द्वारा सिर्फ पैसा कमाने का आरोप, स्कूल में खेल मैदान न होने का सवाल, अध्यापक की पिटाई, अभिभावकों और स्थानीय लोगों के बीच आरोप-प्रत्यारोप, स्कूल की दीवारों पर अभद्र टिप्पणियां लिखे जाने की घटनाएं। लेकिन सबसे अहम सवाल यही है—स्कूल में बच्चों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी किसकी होनी चाहिए?
स्कूल में छोटे बच्चे पूरी तरह शिक्षकों की देखरेख में होते हैं, तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी होनी चाहिए? भले ही इस घटना में बच्चे को गहरी चोट नहीं आई, लेकिन चोट लग भी सकती थी। अगर स्कूल में किसी बच्चे को गंभीर चोट लग जाए या कोई अनहोनी हो जाए, तो इसकी ज़िम्मेदारी किसकी होगी?
घटना का विवरण
डीएवी पब्लिक स्कूल, रामपुर बुशहर में बीते दिनों एक बच्चे के अभिभावकों द्वारा म्यूजिक अध्यापक और लिपिक की पिटाई का मामला तूल पकड़ रहा है। यह घटना 11 फरवरी की बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार, प्रदीप चौहान, जो रचोली में हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं, का बेटा स्कूल में गिर गया था। इस पर गुस्साए पिता ने स्कूल पहुंचकर बिना कुछ सोचे-समझे म्यूजिक शिक्षक को थप्पड़ और घूंसे मारने शुरू कर दिए। जब स्कूल प्रशासन ने बीच-बचाव की कोशिश की, तो प्रदीप का गुस्सा और भड़क गया और उसने लिपिक के साथ भी मारपीट की।
स्कूल प्रबंधन के खिलाफ स्थानीय लोगों का प्रदर्शन
इस घटना के बाद, स्थानीय लोग और शिक्षक संघ इस हमले से नाराज हो गए और उन्होंने स्कूल में सुरक्षा व्यवस्था की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। स्थानीय लोगों का कहना था कि अगर शिक्षकों पर इस तरह के हमले होते रहे, तो स्कूलों में अनुशासन कैसे बना रहेगा? उन्होंने स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाया कि वह शिक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहा है और इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधन सिर्फ पैसा कमाने की होड में लगा है। स्कूल में मैदान नहीं है और कक्षा की दीवारों पर अभद्र टिप्पणियां लिखी हुई हैं। ऐसे में स्कूल के बच्चे क्या सीखेंगे?
स्थानीय लोगों के प्रदर्शन के खिलाफ अभिभावकों का विरोध
जब स्थानीय लोगों ने स्कूल के खिलाफ विरोध किया, तो अभिभावकों ने भी इसका विरोध किया। उनका कहना था कि स्कूल के अंदर परीक्षाएं चल रही थीं और इस प्रदर्शन के कारण बच्चों को मानसिक परेशानी झेलनी पड़ी। अभिभावकों ने आरोप लगाया कि स्थानीय लोगों का यह प्रदर्शन स्कूल के माहौल को बिगाड़ने वाला था और इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई।
अब इस विवाद में दो पक्ष बन चुके हैं लेकिन बच्चों की सुरक्षा में चूक का असली मुद्दा, जिसके कारण यह पूरा विवाद शुरू हुआ था, दब गया।—एक तरफ स्थानीय लोग और शिक्षक संघ, जो स्कूल प्रशासन से शिक्षकों की सुरक्षा की गारंटी मांग रहे हैं, और दूसरी तरफ अभिभावक, जो स्कूल में बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई में हो रहे व्यवधान को लेकर आक्रोशित हैं।
दुर्भाग्यवश अध्यापक ने इस्तीफा दे दिया या इस्तीफा देना पड़ा और चोट लगने वाले बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया या छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है। जहां इस घटना से सुरक्षा के मापदंड ते होने चाहिए थे वहाँ 2 दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय लिए गए।