हमीरपुर: डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है क्योंकि वे न केवल मरीजों का इलाज करते हैं बल्कि कई बार उनके जीवन के लिए किसी देवदूत से कम साबित नहीं होते। ऐसा ही एक मामला हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में सामने आया, जहां एक गर्भवती महिला को दुर्लभ ब्लड ग्रुप एबी नेगेटिव की सख्त जरूरत थी, लेकिन ब्लड बैंक में एक भी यूनिट उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में जंगलबैरी अस्पताल में तैनात डॉक्टर सुरेंद्र सिंह डोगरा ने देवदूत बनकर महिला के लिए अपना खुद का खून दान किया और उसकी जान बचा ली।
ब्लड बैंक में नहीं था एबी नेगेटिव ब्लड, परिवार भी रहा असमर्थ
हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती गर्भवती महिला की स्थिति गंभीर थी और उसे तुरंत दो यूनिट एबी नेगेटिव ब्लड की आवश्यकता थी। परिवार ने रिश्तेदारों और जानकारों से संपर्क किया, लेकिन किसी का ब्लड ग्रुप एबी नेगेटिव नहीं था। दूसरी तरफ, मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में भी यह दुर्लभ ब्लड ग्रुप उपलब्ध नहीं था।
डॉक्टर और परिवारजन चिंतित थे कि समय रहते ब्लड न मिलने पर महिला की जान बचाना मुश्किल हो सकता है। इसी दौरान, जंगलबैरी अस्पताल में तैनात डॉ. सुरेंद्र सिंह डोगरा को जब इस बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने बिना देर किए महिला की मदद करने का फैसला किया।
घर जाने के बजाय अस्पताल पहुंचकर किया रक्तदान
सोमवार शाम को जब डॉ. सुरेंद्र डोगरा ड्यूटी खत्म कर घर जा रहे थे, तभी उन्हें इस आपात स्थिति के बारे में पता चला। यह सुनते ही उन्होंने घर जाने की बजाय तुरंत मेडिकल कॉलेज हमीरपुर पहुंचने का निर्णय लिया। कई किलोमीटर की यात्रा कर वे जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचे और महिला के लिए अपना एक यूनिट ब्लड दान किया।
गर्भवती महिला को दो यूनिट ब्लड की जरूरत थी, जिसमें से एक यूनिट डॉक्टर सुरेंद्र डोगरा ने दिया, जबकि दूसरी यूनिट के लिए भी एक अन्य रक्तदाता ने रक्तदान किया।
डॉक्टर के कदम की हो रही सराहना
डॉ. सुरेंद्र डोगरा की इस निस्वार्थ सेवा की हर जगह सराहना हो रही है। मेडिकल कॉलेज के स्टाफ और मरीजों के परिजनों ने उनकी इस मानवता भरी पहल के लिए आभार जताया। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अगर डॉक्टर समय पर ब्लड डोनेट न करते तो गर्भवती महिला की जान बचाना मुश्किल हो सकता था।
डॉ. सुरेंद्र डोगरा ने कहा, “एक डॉक्टर होने के नाते मेरी सबसे पहली जिम्मेदारी मरीज की जान बचाना है। जब मुझे पता चला कि महिला को ब्लड की सख्त जरूरत है और ब्लड बैंक में स्टॉक नहीं है, तो मैंने तुरंत रक्तदान करने का फैसला किया। यह मेरा कर्तव्य था।”
दुर्लभ ब्लड ग्रुप होने के कारण आई समस्या
गौरतलब है कि एबी नेगेटिव ब्लड ग्रुप बेहद दुर्लभ होता है और इसे प्राप्त करना अक्सर मुश्किल हो जाता है। भारत में कुल आबादी में सिर्फ 1% लोगों का ही यह ब्लड ग्रुप होता है। ऐसे में, अगर ब्लड बैंक में यह उपलब्ध न हो तो मरीजों की जान बचाना चुनौती बन जाता है।
ब्लड डोनेशन को लेकर जागरूकता जरूरी
इस घटना के बाद, विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने ब्लड डोनेशन को लेकर जागरूकता बढ़ाने की अपील की है। समय पर रक्तदान करने से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। खासतौर पर दुर्लभ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को नियमित रक्तदान करने के लिए आगे आना चाहिए, ताकि जरूरतमंदों की मदद की जा सके।
स्थानीय लोगों ने किया डॉक्टर को सलाम
हमीरपुर के स्थानीय लोग और मरीज के परिजन डॉ. सुरेंद्र सिंह डोगरा की इस सेवा भावना से प्रभावित हैं। लोगों का कहना है कि आज भी समाज में ऐसे डॉक्टर मौजूद हैं जो अपने पेशे से ऊपर उठकर इंसानियत की मिसाल कायम कर रहे हैं।
इस नेक कार्य से एक बार फिर यह साबित हो गया कि डॉक्टर वाकई में भगवान का दूसरा रूप होते हैं, जो अपनी सेवा और समर्पण से किसी की भी जिंदगी बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।