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चंबा की सनवाल पंचायत में करोड़ों का घोटाला, एक खच्चर से 1.53 करोड़ की ढुलाई दिखाने का खुलासा

चंबा की सनवाल पंचायत में करोड़ों का घोटाला, एक खच्चर से 1.53 करोड़ की ढुलाई दिखाने का खुलासा

चंबा, 12 फरवरीउपमंडल तीसा की सनवाल पंचायत में एक और बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है, जिसने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। पंचायत में सरकारी धन के दुरुपयोग का यह मामला तब उजागर हुआ जब एक खच्चर के नाम पर 1 करोड़ 53 लाख 55 हजार रुपये के सामान की ढुलाई दिखा दी गई, जबकि हकीकत में वैंडर के पास केवल एक ही खच्चर उपलब्ध था

वैंडर को सरकारी खाते से भुगतान, फिर पंचायत प्रतिनिधियों के खातों में ट्रांसफर

जांच में सामने आया है कि जिस वैंडर के खाते में यह भारी-भरकम राशि आई, वह अब भी बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी में दर्ज है। सरकारी खाते से इस वैंडर को ढुलाई के लिए भुगतान किया गया, लेकिन बाद में यह रकम पंचायत प्रतिनिधियों और उनके रिश्तेदारों के खातों में चेक और अन्य माध्यमों से ट्रांसफर कर दी गई

पुलिस जांच में सामने आए चौंकाने वाले खुलासे

तीसा पुलिस को सनवाल पंचायत में वैंडरों की आड़ में करोड़ों की धांधली की शिकायत मिली थी। मामले की प्राथमिक जांच शुरू होते ही घोटाले की परतें खुलने लगीं। पुलिस जांच के दौरान यह सामने आया कि एक बीपीएल परिवार से संबंध रखने वाले व्यक्ति के खाते से 1.53 करोड़ रुपये की संदिग्ध ट्रांजेक्शन हुई

अब पुलिस इस बात की गहन जांच कर रही है कि वैंडर के खाते में आई राशि आखिर पंचायत प्रतिनिधियों के खातों में क्यों ट्रांसफर की गई। क्या यह एक संगठित घोटाले का हिस्सा है या फिर वैंडर के नाम का केवल दुरुपयोग किया गया?

खच्चर के नाम पर हुए करोड़ों के भुगतान पर सवाल

पंचायत में सामग्री ढुलाई के लिए वैंडर नियुक्त किए जाते हैं, और इस घोटाले में खच्चर वैंडर को सरकारी भुगतान किया गया। जांच में पाया गया कि वैंडर के खाते में बार-बार लाखों रुपये डाले गए, लेकिन वास्तविक कार्य हुआ ही नहीं। सभी भुगतान के बाद यह राशि वैंडर के खाते से निकालकर पंचायत प्रतिनिधियों के खातों में ट्रांसफर कर दी गई

जब प्रशासन ने खर्च का विश्लेषण किया, तो 1 करोड़ 53 लाख 55 हजार रुपये की राशि के भुगतान का खुलासा हुआ, जिससे यह संदेह पुख्ता हो गया कि मामला वित्तीय अनियमितता का है।

प्रशासनिक और पुलिस जांच के दायरे में पंचायत प्रतिनिधि

अब प्रशासन इस बात की जांच कर रहा है कि पंचायत प्रतिनिधियों ने इतनी बड़ी धनराशि वैंडर से क्यों प्राप्त की और क्या यह पैसा व्यक्तिगत उपयोग के लिए निकाला गया या किसी अन्य योजना के लिए रखा गया था।

इस घोटाले ने स्थानीय प्रशासन और ग्रामीण विकास योजनाओं की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि पुलिस जांच में पुष्टि होती है कि यह पूर्व नियोजित वित्तीय गड़बड़ी थी, तो कई पंचायत अधिकारियों और प्रतिनिधियों पर कड़ी कार्रवाई संभव है।

सरकारी धन के दुरुपयोग को लेकर बढ़ रही सख्ती

हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्राम पंचायतों में जमा अनस्पैंट राशि को लेकर कड़ा रुख अपनाया है और इसे ट्रेजरी में जमा करने के आदेश दिए हैं। ऐसे में सनवाल पंचायत में हुए इस घोटाले ने पंचायत प्रशासन की पारदर्शिता और वित्तीय प्रबंधन पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं

आगे क्या?

पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और जल्द ही पंचायत प्रतिनिधियों और वैंडर से पूछताछ की जा सकती है। प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि यदि दोष साबित होता है, तो सख्त कार्रवाई होगी और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की जाएगी

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