हिमाचल प्रदेश में करुणामूलक आधार पर नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे परिवारों ने अब जिला स्तर पर मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है। इस कड़ी में धर्मशाला में राज्य आईटी सेल पदाधिकारी गुलशन कुमार की अध्यक्षता में करुणामूलक परिवारों ने सरकार से अपनी मांगों को जल्द पूरा करने की अपील की।
सरकार कर रही है तारीख पर तारीख, करुणामूलक परिवार परेशान
राज्य आईटी सेल के पदाधिकारी गुलशन कुमार ने कहा कि सरकार लगातार इन परिवारों को “कमेटी की रिपोर्ट” के नाम पर टाल रही है। कई परिवारों ने अपने कमाने वाले सदस्य को खो दिया है और 15-20 वर्षों से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं।
गुलशन कुमार का कहना है कि सत्ता में आने से पहले कांग्रेस सरकार ने वादा किया था कि 6 महीने के अंदर सभी करुणामूलक परिवारों को नौकरी दी जाएगी, लेकिन ढाई साल बीतने के बावजूद कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
करुणामूलक परिवारों का आरोप है कि हर सरकार चुनावों से पहले बड़े-बड़े वादे करती है, लेकिन सत्ता में आने के बाद यह मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
“विधायक का उपचुनाव 6 महीने में, सरकारी कर्मचारी के परिवार को नौकरी 20 साल में भी नहीं”
प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि अगर किसी विधायक का निधन हो जाता है, तो 6 महीने के भीतर उपचुनाव करवा दिया जाता है और सीट भर दी जाती है। लेकिन, अगर कोई सरकारी कर्मचारी अपनी ड्यूटी के दौरान मर जाता है, तो उसके परिवार को नौकरी के लिए 15-20 साल इंतजार करना पड़ता है।
432 दिन की भूख हड़ताल के बाद भी सरकार का कोई फैसला नहीं
करुणामूलक संघ हिमाचल प्रदेश के बैनर तले शिमला में पहले भी 432 दिनों तक भूख हड़ताल की गई थी। इसके बावजूद, सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया।
गुलशन कुमार ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से अपील की कि अगर उनकी सरकार वास्तव में गरीबों और जरूरतमंदों की है, तो करुणामूलक परिवारों की पीड़ा को समझते हुए जल्द से जल्द नौकरी देने की व्यवस्था की जाए।
करुणामूलक परिवारों की मुख्य मांगे
1) 7 मार्च 2019 की पॉलिसी में संशोधन
👉 62500 रुपये की वार्षिक आय सीमा को पूरी तरह से हटाया जाए और इसे 2.50 लाख से अधिक किया जाए।
2) रिजेक्ट हुए केसों की दोबारा समीक्षा
👉 22 सितंबर 2022 की नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए और रिजेक्ट किए गए मामलों को फिर से स्वीकार किया जाए।
3) 5% कोटे की शर्त हटाई जाए
👉 करुणामूलक नौकरियों में 5% कोटे की बाध्यता हटाकर सभी लंबित मामलों को वन टाइम रिलैक्सेशन के आधार पर नियुक्त किया जाए।
👉 जिन विभागों में पद खाली नहीं हैं, वहां के मामलों को अन्य विभागों में शिफ्ट करके नियुक्तियां दी जाएं।
4) शैक्षणिक योग्यता के आधार पर नियुक्ति
👉 सभी तकनीकी (Technical) और गैर-तकनीकी (Non-Technical) पदों पर योग्यता के अनुसार नियुक्तियां की जाएं।
👉 वरिष्ठता के आधार पर नौकरी दी जाए ताकि किसी भी परिवार के साथ अन्याय न हो।
धर्मशाला से हुई शुरुआत, अब अन्य जिलों में भी होगा आंदोलन
करुणामूलक परिवारों का कहना है कि धर्मशाला से इस आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है और जल्द ही पूरे हिमाचल में इसे और तेज किया जाएगा।
सरकार कब तक करेगी इंतजार?
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार इन परिवारों की मांगों को गंभीरता से लेकर जल्द फैसला लेगी या फिर एक बार फिर तारीख पर तारीख देकर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल देगी।